14 साल बाद उपचुनाव में उतरेगी बसपा,अस्तित्व बचाने की चुनौती…
यूपी: उत्तर प्रदेश की 9 सीटों में होने वाले उपचुनाव के लिए ऐलान हो गया है. इन सीटों पर 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी. इसमें सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है लेकिन बसपा ने भी इस बार अपनी ताल ठोंक दी है. लोकसभा में खता न खुलने के बाद मायावती के आगे चुनाव जीतने नहीं बल्कि 14 साल बाद उपचुनाव में जीत हासिल करने का चैलेंज है.
सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी बसपा…
बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती यह पहले ही एलान कर चुकी है कि इस बार के उपचुनाव में बसपा सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मायावती के सामने दलित-शोषित और वंचित समाज के सहारे कभी सत्ता की सियासी बुलंदी छूने वाली बसपा के लिए अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. प्रदेश में इस समय मायावती की पकड़ दलित समुदाय पर ढीली होती जा रही है. ऐसे में बसपा ने यूपी उपचुनाव में अकेले सभी 9 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है.
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इन सीटों पर उतरे उम्मीदवार…
यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर बसपा उपचुनाव लड़ेगी. बसपा ने फूलपुर में शिवबरन पासी, मीरापुर से शाहनजर, सीसामऊ से रवि गुप्ता, कटेहरी से जीतेंद्र वर्मा, मझवां से दीपक कुमार तिवारी उर्फ दीपू, गाजियाबाद से रवि गौतम और करहल से रमेश शाक्य बौद्ध को प्रभारी बनाया है, जिन्हें बाद में प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है. कुंदरकी और खैर सीट पर बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
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2010 में जीता था आखिरी उपचुनाव
उत्तर प्रदेश में बसपा ने अपना आखिरी उपचुनाव 2010 में जीता था, जब मायावती के सत्ता में रहते हुए सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी खातून तौफीक ने बीजेपी को 15 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. इसके बाद मायावती ने खुद अपनी सरकार में हुए उपचुनाव में भी अपनी पार्टी के प्रत्याशी को नहीं उतारा. बसपा उपचुनाव से दूरी बनाए रखती थी, लेकिन 2022 में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मायावती ने अपना उम्मीदवार उतारा था.
बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली भले ही चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन ढाई लाख के करीब वोट हासिल करके सपा का सियासी गेम बिगाड़ दिया था. इसके बाद यूपी में हुए उपचुनाव में बसपा ने कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारा.