बबुआ को कैराना और नूरपुर में नहीं मिलेगा बुआ का साथ

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गठबंधन जारी रहेगा लेकिन आगे के उपचुनावों में बीएसपी कार्यकर्ता सक्रिय तौर पर मददगार नहीं रहेंगे’, बीएसपी के इस बयान ने समाजवादी पार्टी के माथे पर बल ला दिया है तो बीजेपी को गठबंधन खटाई मे पड़ने की धुंधली संभावना दिखने लगी है और पार्टी फिलहाल इसे गठबंधन के पेंच के तौर पर देख रही है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बीच ही मायावती ने गठबंधन को धीरे से झटका दिया और जता दिया कि गठबंधन उनकी शर्तों पर ही होगा, मायावती ने साफ कहा कि किसी उपचुनाव में उनका कैडर किसी की मदद नहीं करेगा और 2019 चुनाव के लिए अपनी ताकत बचाएगा।

फूलपुर की तरह एक्टिव होकर काम नहीं करेंगे

हालांकि अखिलेश के लिए राहत की बात ये है कि मायावती ने मंगलवार की पार्टी की बैठक में साफ-साफ ऐलान किया कि 2019 में वो बड़े गठबंधन के लिए तैयार हैं और सपा के साथ गठबंधन रहेगा। बावजूद इसके मायावती की एक प्रेस रिलीज ने सभी की नींद उड़ा दी है और सभी अपनी-अपनी तरह से इसके मायने निकाल रहे हैं। मायावती ने लिखा कि उपचुनावों में बसपा के कैडर गोरखपुर और फूलपुर की तरह एक्टिव होकर काम नहीं करेंगे।

आगे देखिए इस गठबंधन में और क्या-क्या होता है

मायावती के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा है कि इसमें गठबंधन में दरार जैसी कोई बात नहीं है क्योंकि हमारा गठबंधन बड़े लक्ष्य के लिए और बड़े चुनाव के लिए है और सब का फोकस 2019 पर है इसलिए उपचुनाव को लेकर BJP को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए.उधर बीजेपी को गठबंधन नहीं होने की धुंधली सी आस नजर आने लगी है, जिसपर मोहसिन रजा ने कहा कि इस गठबंधन में बहुत पेंच हैं और आगे देखिए इस गठबंधन में और क्या-क्या होता है। तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि इस गठबंधन ने अपना ट्रेलर दिखा दिया है और अब 2019 में पूरी फिल्म दिखाएगी।

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मायावती ने अपने कैडर और विधायकों के साथ बैठक में बड़े गठबंधन की बात तो की लेकिन अब सभी गठबंधन 2019 को ध्यान में रखते हुए की जाने की बात कही, मायावती ने 24 मार्च को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक तरफ गठबंधन की हिमायत की तो दूसरी ओर अपनी एक प्रेस रिलीज में इस बात को साफ कर दिया कि आने वाले उपचुनाव में BSP के कैडर किसी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे।

गठबंधन का यह माहौल हल्का पड़ सकता है

यानि कैराना और नूरपुर उपचुनाव में अब समाजवादी पार्टी और बीएसपी में फूलपुर और गोरखपुर जैसी एकजुटता नहीं दिखेगी क्योंकि मायावती ने साफ कह दिया कि उसके कार्यकर्ता उपचुनाव में इतना एक्टिव होकर काम नहीं करेंगे। दरअसल कैराना सीट पर आरएलडी की नजर है और आरएलडी के एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग कर BJP को समर्थन दिया था इससे नाराज मायावती ने आरएलडी को चेतावनी भी दी थी, माना जा रहा है मायावती अपना स्टैंड और कड़ा कर सकती हैं। विश्लेषक मानते हैं कि मायावती फूलपुर और गोरखपुर में अपना वोट ट्रांसफर कराने में सफल रहीं लेकिन कैराना में अगर इस गठबंधन को बीजेपी से चुनौती मिल गई तो फिर गठबंधन का यह माहौल हल्का पड़ सकता है।

अपनी पूरी ऊर्जा 2019 के लिए बचाएंगे

फिलहाल सपा भले ही जीत गई हो लेकिन चर्चा मायावती और उनके वोटबैंक की ही है, ऐसे में मायावती इस माहौल को 2019 तक बनाए रखना चाहती हैं ताकि गठबंधन की सुपर बॉस वही बनी रहें.राज्यसभा चुनाव के अगले ही दिन अपनी प्रेस कांफ्रेंस के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस रिलीज जारी किया था और इस प्रेस रिलीज में साफ-साफ लिखा था कि उनके कार्यकर्ता आगे के उपचुनाव में फूलपुर इलाहाबाद की तर्ज पर सक्रिय भागीदारी निभाएंगे और अपनी पूरी ऊर्जा 2019 के लिए बचाएंगे। मायावती इस बयान में एक तरफ 2019 के गठबंधन की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया तो दूसरी तरफ मायावती ने अपने सहयोगियों को चेतावनी भी दे डाली।

चेतावनी अजीत सिंह के लिए भी जारी कर दी थी

अपनी इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने आरएलडी के क्रॉस-वोटिंग को ही मुद्दा बनाया था और एक चेतावनी अजीत सिंह के लिए भी जारी कर दी थी। आरएलडी पर अपना गुस्सा जाहिर करने के बाद बताया जा रहा है कि अजीत सिंह ने मायावती से बात की और एक बार फिर गठबंधन के प्रति अपनी आस्था जताई, इसी तरह राज्यसभा चुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव ने भी मायावती से फोन पर बात की है और दूसरे स्तर के नेताओं के बीच तालमेल को लेकर बातें आगे बढ़ रही हैं। ऐसे में उपचुनाव से मिला सुपर बॉस का तमगा मायावती दूसरे उपचुनाव में हारकर नहीं खोना चाहेंगी।

aajtak

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