भारतीय सीमा पर होगी स्नाइपर्स की तैनाती

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भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बने लांचिग पैड पर आतंकियों का जमावड़ा हो चुका है। आशंका जताई जा रही है कि इन आतंकियों की नजर अमरनाथ यात्रा पर है। खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सेना ने इन आतंकियों की मदद के लिए स्नाइपर तैनात कर दिए हैं। पाकिस्तानी स्नाइपर हमारे जवानों पर घात लगा कर हमले कर रहे हैं।

सीमा पर स्नाइपर्स की तैयारी जरूरी लगने लगी

पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब देने के लिए बीएसएफ भी स्नाइपर की फौज तैयार कर रही है। आपको याद दिला दें कि तीन जून को जम्मू की सुंदरबानी पोस्ट पर रात के एक बजकर 15 मिनट पर कुछ ऐसी घटना घटी थी जिसकी वजह से सीमा पर स्नाइपर्स की तैयारी जरूरी लगने लगी। उस दिन बीएसएफ के जवान सुन्दरबानी से सटे भारत पाकिस्तान सीमा पर नजर रख रहे थे।

अब भारत देगा पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब

सुन्दरबानी पोस्ट से सटे इलाकों से आतंकवादी भारत में घुसपैठ कर सकते थे और बीएसएफ की पूरी यूनिट आतंकियों के किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह मुस्तैद थी। सब इंस्पेक्टर एस एन यादव और बीएसएफ के कांस्टेबल वी के पांडे लगातार सीमा पर नजर बनाए हुए थे और तभी अचानक फायर की आवाज आई। जब तक कोई कुछ समझ पाता सब इंस्पेक्टर एस एन यादव और बीएसएफ के कांस्टेबल वी के पांडे को दुश्मन की गोलियां लग चुकी थीं और दोनों इस हमले में शहीद हो गए।

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जांच के बाद पता चला कि इस हमले को अंजाम पाकिस्तानी सेना के एक स्नाइपर की टीम ने दिया था जो पाकिस्तानी रेंजर्स को मदद देने के लिए पोस्ट पर तैनात थी। ये पहली बार नहीं था जब पाकिस्तान के स्नाइपर ने हमारी पोस्ट को निशाना बनाया था। ऐसे हमले में अब तक सैकड़ों जवान शहीद हो चुके हैं और यही वजह है अब सरकार ने पाकिस्तान के इन स्नाइपर्स को सबक सिखाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

एक जवान का किया गया चयन

बीएसएफ के इंदौर में बने सेंटर स्कूल ऑफ वेपन एंड टैक्टिस यानि सीएस डब्लू टी को स्नाइपर की फैक्ट्री कहा जाता है, वहीं स्नाइपर तैयार होते हैं। यहां 100 में से एक जवान को स्नाइपर के लिए चुना जाता है। चाहे जंगल हो, पेड़ हो या बर्फीले इलाके या फिर मैदानी इलाके। स्नाइपर को हर माहौल में खुद को ढ़ालना होता है। स्नाइपर को खुद के साथ-साथ अपने हथियारों को भी छुपाना होता है। सीएसडब्लूटी में हर स्नाइपर को करीब 60 दिन की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।

स्नाइपर टीम सबसे पहले उस जगह की रेकी करती है जिन रास्तों से आतंकी आ सकते हैं। उसके बाद ऐसी जगह की तलाश की जाती है जहां अपने आप को दुश्मन की नजर से स्नाइपर खुद को बचा सके और मौका मिलते ही दुश्मन पर घात लगा के हमला कर सके। स्नाइपर की टीम कई बार दुश्मन के इलाके में जाकर आतंकियों को खत्म करने का प्लान बनाती है लेकिन ये फैसला खतरनाक हो सकता है। अगर दुश्मन को उनके आने की भनक लग गई तो फिर मौत तय है।

लेकिन, स्नाइपर बनना बच्चों का खेल नहीं है। स्नाइपर की ये टीम दुश्मन के इलाके में दाखिल हो जाती है और एक ऐसी जगह अपनी पोजीशन लेती है जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। स्नाइपर पूरे सब्र के साथ दुश्मन का इंतजार करते हैं। ये इंतजार लंबा भी हो सकता है। लेकिन, मिशन को हर हाल में अंजाम दिया जाएगा। हर स्नाइपर को एक ही बात समझाई जाती है कि ‘एक दुश्मन एक टारगेट’। यहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। दुश्मन बहुत ही बेरहम है। अगर इनका टारगेट चूक गया तो टारगेट इन्हें ही खत्म कर देगा। साभार जी)

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