…तो क्या माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या से है बृजेश सिंह का कनेक्शन!

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यूपी के कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की हत्या पूर्व बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की मौत का बदला मानी जा रही है। एसटीएफ की शुरुआती पड़ताल के साथ पूर्वांचल और पश्चिम के माफिया गैंग का कनेक्शन कुछ ऐसे ही इशारा कर रहे हैं। एसटीएफ इन समीकरणों की तह तक जाने की कोशिश में जुट गई है कि आखिर मुन्ना बजरंगी की हत्या क्यों की गई?

इसके पीछे सुनील राठी गैंग का हाथ बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि राठी गैंग ने इसे अंजाम क्यों दिया? हैरानी की बात यह है कि बजरंगी की पत्नी ने भी हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने पति की हत्या की आशंका जताई थी।

कभी कृष्णानंद राय के बेहद करीबी थे बृजेश सिंह

मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे बृजेश सिंह कनेक्शन को समझने के लिए 29 नवंबर 2005 में हुई पूर्व बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या तक जाना होगा। कृष्णानंद राय बृजेश सिंह के बेहद करीबी थे। जब उनकी हत्या हुई बृजेश सिंह गुमनामी में फरारी काट रहे थे। हत्या में मुख्तार अंसारी के साथ प्रमुख रूप से मुन्ना बजरंगी और वेस्ट यूपी के शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम आया।

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वर्ष 2009 जुलाई में पहले बृजेश सिंह को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया और फिर अक्टूबर में मुन्ना बजरंगी की गिरफ्तारी भी दिल्ली पुलिस के हाथों हुई। गिरफ्तारी के बाद से ही दोनों लगातार जेल में हैं। जेल में रहकर ही इन लोगों ने पूर्वांचल से बाहर वेस्ट यूपी, हरियाणा और पंजाब तक पांव पसारने शुरू किए।

वह सुशील मूंछ गैंग के करीब हो गया

अनिल दुजाना के महाराजगंज और बांदा जेल रहने के दौरान मुन्ना बजरंगी उसके करीब आया, उधर बृजेश सिंह 50 हजार के इनामी सुशील मूंछ के। सुनील राठी सुशील मूंछ का बेहद करीबी है। पिता नरेश राठी की हत्या करने वाले दो लोगों की हत्या के बाद सुनील राठी ने अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व जमाना शुरू किया। कुछ ही समय में वह सुशील मूंछ गैंग के करीब हो गया।

बाहुबली धनंजय सिंह में वर्चस्व की जंग छिड़ गई

उधर पूर्वांचल में धंधे को लेकर माफियाओं के समीकरण बनने और बिगड़ने शुरू हो गए। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक बिजनेस को लेकर वर्षों पुराने दुश्मन मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह में आपसी समझ हो गई। दोनों ने एक-दूसरे के धंधे में टांग अड़ाना छोड़ दिया लेकिन धंधे को लेकर मुन्ना बजरंगी और जौनपुर के ही बाहुबली धनंजय सिंह में वर्चस्व की जंग छिड़ गई। हालांकि, इस लड़ाई में धनंजय सिंह खुद खुलकर सामने नहीं आए लेकिन मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत और करीबी तारिक की हत्या में धनंजय सिंह और डेप्युटी एसपी (रिटायर्ड) के बेटे प्रदीप सिंह का नाम उछला।

पुलिस और एसटीएफ लंबे समय बाद भी इन हत्याओं की कड़ी नहीं सुलझा पाई हैं। वहीं बृजेश सिंह के राजनीति में आने और एमएलसी बनने के बाद धनंजय सिंह से नजदीकियां बढ़ गईं। विधान परिषद में उनके शपथ लेने के दौरान धनंजय सिंह बृजेश के साथ नजर आए थे। इसके चलते एसटीएफ इन बिंदुओं पर भी पड़ताल कर रही है।

बजरंगी और उनके घरवाले लगातार बागपत पेशी पर जाने का विरोध कर रहे थे

सूत्रों के मुताबिक मुन्ना बजरंगी को सुनील राठी के बृजेश सिंह गैंग से नजदीकियों और कुछ समय पहले ही उसके बागपत जेल आने की सूचना थी। इसके चलते ही बजरंगी और उनके घरवाले लगातार बागपत पेशी पर जाने का विरोध कर रहे थे। करीब दो माह से उनके घरवालों ने बागपत न जाने के लिए हरसंभव प्रयास किया और दलील दी। लेकिन उनकी एक नहीं चली।

हालांकि, अनिल दुजाना के करीबी मुन्ना बजरंगी के साथ रहते थे। झांसी जेल में बंद अमित राठी मुन्ना के साथ साये की तरह रहता था। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक बागपत जेल में भी अनिल दुजाना का करीबी विक्की सुनहरा मुन्ना का करीबी था। लेकिन बागपत जेल में सुनील राठी मुन्ना बजरंगी पर भारी पड़ गया।

दोनों हत्याओं का अपने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देगा…

पुष्पजीत की हत्या के बाद से मुन्ना बजरंगी लगातार कमजोर हुआ। पुष्पजीत की हत्या से वह उबर पाता इससे पहले पूर्वांचल में उसका काम संभालने वाले तारिक की लखनऊ में हत्या कर दी गई। अपराध जगत में चर्चा थी कि मुन्ना बजरंगी इन दोनों हत्याओं का अपने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मुन्ना के गैंग में कोई ऐसा रह भी नहीं गया, जिसका नाम फिलहाल उसके उत्तराधिकारी के रूप में चर्चा में हो। एसटीएफ मुन्ना बजरंगी, तारिक और पुष्पजीत की हत्याओं के बीच की कॉमन कड़ियां तलाश करने में जुट गई है।साभार

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