BJP-PDP में दरार बनी ‘घाटी’

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जम्मू/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर वार्ता विफल रहने के बाद भाजपा की ओर हाथ बढ़ाते हुए पीडीपी ने शुक्रवार रात अपने रूख में नरमी का संकेत देते हुए कहा कि ‘हमारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।’ जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन में फिर से जान डालने के प्रयास तब विफल हो गए थे जब भाजपा ने कहा था कि शर्तों के आधार पर सरकार नहीं बनेगी।

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के नेताओं ने कहा है कि पीडीपी और भाजपा के बीच अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है, लेकिन जैसा प्रतीत होता है उसके मुताबिक अब इसमें थोड़ा ही संदेह रह गया है कि दोनों पार्टियों का गठबंधन अंतिम सांस नहीं गिन रहा है। पिछले दिनों पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बीच हुई कथित गुप्त वार्ता से महबूबा की प्रधानमंत्री से मुलाकात का मार्ग प्रशस्त नहीं हुआ, जो केसरिया ब्रिगेड के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के स्पष्ट संकेतों को जाहिर करता है।

जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में सरकार पूर्व शर्तो पर आधारित नहीं हो सकती है। विश्वास शर्तो पर आधारित नहीं होता है। माधव ने कहा कि हकीकत यह है कि मुफ्ती साहब के निधन के बाद भी पीडीपी ने अभी तक किसी को औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री पद के लिए नामित नहीं किया है। हालांकि यह कश्मीर से नई दिल्ली तक हर कोई जानता है कि नामित व्यक्ति कौन है।

जैसे ही राममाधव का यह बयान जारी हुया, पीडीपी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग, (जो पीडीपी-भाजपा गठबंधन के पक्ष में हैं) ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि संवाद में गड़बड़ी हुई है। हमने कोई नई शर्त नहीं रखी है, बल्कि पूर्व निर्धारित शर्तो पर ही समय सीमा की बात कही है।

उधर, पीडीपी के प्रवक्ता नीम अख्तर ने कहा कि गतिरोध का तात्पर्य यह नहीं है कि वार्ता खत्म हो गई। यह हमारे लिए झटका है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वार्ता का अंत हो गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती सईद के अचानक निधन से पहले दस महीनों के लिए विधानसभा में 27 विधायकों के साथ पीडीपी ने 25 सदस्यों वाली भाजपा के साथ गठबंधन सरकार चलाई। गत आठ जनवरी से प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू है।

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