कर्नाटक चुनाव : बीजेपी की ‘सहानुभूति’ कार्ड साधेगी लिंगायत
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिंगायत कार्ड से दबाव में आई भारतीय जनता पार्टी(BJP) अब उनके इस मास्टर स्ट्रोक के जवाब में ‘सहानुभूति कार्ड’ खेलने जा रही है। चुनावी महासमर में मैदान मारने के लिए लिंगायत बहुल इलाकों में बीजेपी अपनी प्रचार रणनीति पर फिर से काम करने जा रही है। पार्टी अब इस समुदाय की जनभावनाओं को अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बीएस येदियुरप्पा के पक्ष में करने के लिए सहानुभूति का कार्ड खेलेगी जो खुद भी लिंगायत समुदाय से आते हैं।
लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी
बीजेपी मतदाताओं से भावुक अपील करेगी- ‘इस बार बीजेपी को वोट करें, अन्यथा अगले एक दशक से ज्यादा समय तक आपको लिंगायत मुख्यमंत्री नहीं मिलेगा।’ बता दें, राज्य में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है और वे राज्य में 100 सीटों पर प्रभाव रखते हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी का यह कदम कांग्रेस को टक्कर देने के लिए है। बीजेपी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी लिंगायत समुदाय के प्रति लापरवाह है।
कांग्रेस ने लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का दांव खेला
बीजेपी की कोशिश की यह दर्शाने की है कि कांग्रेस ने लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का दांव येदियुरप्पा को निशाना बनाने के लिए खेला है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘जैसे-जैसे राज्य में चुनावी पारा चढे़गा, वैसे-वैसे लिंगायत समुदाय से समर्थन मांगेंगे। बीजेपी ने वर्ष 2008 में इसी तरह का संदेश सफलतापूर्वक दिया था। उस समय बीजेपी ने कहा था कि येदियुरप्पा तत्कालीन मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के धोखे का शिकार हो गए।’
येदियुरप्पा के प्रत्याशी बनाने के ऐलान के बाद सिद्धारमैया ने बदली चाल
केंद्रीय एचआरडी मंत्री और कर्नाटक में बीजेपी के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘हम लिंगायत समुदाय से कहेंगे कि लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का सिद्धारमैया का वादा केवल एक साजिश है ताकि येदियुरप्पा जैसे लिंगायत नेताओं को सीएम बनने से रोका जा सके। हुबली-धारवाड़ क्षेत्र से एक बीजेपी एमएलए ने कहा, ‘लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा और वीरशैव को अलग करने की मांग 100 साल पुरानी है।’
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उन्होंने कहा, ‘सिद्धारमैया ने एक साल पहले लिंगायत समुदाय के नेता येदियुरप्पा को बीजेपी की ओर से सीएम पद का प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद वीरशैव और लिंगायत के बीच कील ठोक दी। लिंगायत जानते हैं कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मुद्दा राजनीतिक बना दिया गया है ताकि उनके साथी लिंगायत नेता को सीएम बनने से रोक दिया जाए।’ इस बीच पार्टी ने कार्यकर्ताओं को लिंगायत समुदाय के बीच जाकर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के लिए कहा है।
अंतिम समय में एकजुट हो सकते हैं सभी लिंगायत
कर्नाटक प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने कहा, ‘सिद्धारमैया जब सत्ता में आए थे तब उन्होंने लिंगायत समुदाय के खिलाफ काम किया था और नौकरशाहों की पोस्टिंग में यह दिखाई पड़ता था। सिविल और पुलिस प्रशासन में सभी लिंगायत अधिकारियों को प्रमुख पोस्ट नहीं दी गई। अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने लिंगायत समुदाय को कोई विशेष सहायता नहीं दी।’
उन्होंने बताया कि लिंगायत समुदाय को सबसे ज्यादा यह बात अखरी कि सिद्धारमैया सरकार ने उनकी आबादी को राज्य में 9.8 प्रतिशत बताया जो कि करीब 17 फीसदी है। बीजेपी के एक नेता कहते हैं, ‘एजुकेशन लॉबी द्वारा समर्थित कुछ लिंगायत नेता और कुछ मठों के महंत तात्कालिक लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं। लिंगायत समुदाय के करीब 2000 मठ हैं और 3000 स्वामी हैं और इस मुद्दे का इस्तेमाल निजी खुन्नस को निपटाने के लिए किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि आम लिंगायत नागरिक यह जानता है कि सिद्धारमैया इसके लिए जिम्मेदार हैं और अंतिम समय में सभी लिंगायत एक हो सकते हैं।