पूर्वांचल की सीटों पर भाजपा को मिल रही बड़ी चुनौती

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यूपी: प्रदेश में लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण का मतदान 1 जून को समाप्त हो जाएगा. प्रदेश में पूर्वांचल की 13 सीटों में 4 सीटें ऐसी है जहाँ NDA जातीय समीकरण के चक्रव्यूह में फंस गई हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के दमदार प्रदर्शन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी में बहुत बड़े अंतर से जीत में यह तथ्य दबकर रह गया था कि पूर्वांचल की कई प्रमुख सीटों पर बेहद करीबी अंतर से हार- जीत हुई थी.

2022 विधानसभा चुनाव में ख़राब रहा था प्रदर्शन…

बता दें कि, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा पूर्वांचल में कई सीटों में मामूली अंतर से जीती थी जिसमें, मछलीशहर, चंदौली, बलिया यदि शामिल थी. इतना ही नहीं इस दौरान पूर्वांचल की कम से कम 5 सीटें हारे भी थे. वहीँ, 2022 में BJP के लिए पूर्वांचल दुखती नब्ज साबित हुई थी, कई जिलों से बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था.दरअसल चुनावों में जाति धर्म से ऊपर हो जाती है. यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी खामी है.

प्रदेश की इन सीटों में फसी BJP …

आपको बता दें कि इस बार के चुनाव में पूर्वांचल की तमाम सीटों में मुकाबला कड़ा हो गया है. यहाँ 13 सीटों में होने वाले चुनाव में चार सीटें ऐसी हैं जहाँ चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. उम्मीद है कि इन सीटों पर अब राम का नाम ही बेडा पार लगा सकता है. घोसी में इस बार NDA के उम्मीदवार अरविन्द राजभर चुनाव लड़ रहे है जो योगी के कैबिनेट में शामिल ओमप्रकाश राजभर के बेटे है. वही, सपा ने यहाँ से राजीव राय को उम्मीदवार बनाकर राह कठिन कर दी है.

वहीँ, दूसरी तरफ मिर्ज़ापुर में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का मुकाबला समाजवादी के डॉ. राजेंद्र बिंद से है. चंदौली में भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का मुकाबला इस बार समाजवादी पार्टी के नेता वीरेंद्र सिंह और BSP के सतेंद्र मौर्या से है जबकि बलिया में इस बार BJP ने नीरज शेखर को मैदान में उतरा है वहीँ, सपा ने सनातन पांडेय मैदान में है.

घोसी…

घोसी लोकसभा सीट की बात करें तो यहाँ पर समाजवादी पार्टी ने बहुत ही मजबूत चेहरा दिया है राजीव राय जिन्होंने 2012 में सरकार बनवाने में समाजवादी पार्टी की काफी मदद की थी. इतना ही नहीं राय पार्टी में मीडिया विभाग की जिम्मेदारी भी संभालते है और सामाजिक संसथान भी चलाते है. घोसी सीट के जातीय समीकरण के हिसाब से वह बहुत सटीक उम्मीदवार भी है.

मिर्ज़ापुर…

मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहाँ कुमी और बिंद समाज का बोलबाला है. सपा के उम्मीदवार राजेंद्र बिंद का मुंबई में कारोबार है. इस सीट पर कुर्मी के बाद सबसे ज्यादा बिंद समाज के मतदाता है. इस सीट पर करीब डेड लाख के पास बिंद मतदाता है और भी दूसरी जातियां है जो इस बार विपक्ष का साथ दे सकती हैं.

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चंदौली…

समाजवादी पार्टी ने इस सीट से वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतरा है. वीरेंद्र सिंह इससे पहले कांग्रेस, बसपा और सपा में रह चुके हैं. इस समय वह सपा में राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. इतना ही नहीं उन्होंने 1996 में चिरईगांव विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी.

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