AFSPA पर पुनर्विचार का यह सही समय नहीं : आर्मी चीफ

0

आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) पर पुनर्विचार की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। कश्मीर के मौजूदा हालात के मद्देनजर उन्होंने साफ कहा कि अभी वह समय नहीं आया है, जब अफस्पा पर दोबारा विचार किया जा जाए या इसके प्रावधानों को हल्का बनाया जाए। इससे पहले रिपोर्टों में कहा गया था कि सरकार अफस्पा को गौरतलब है कि आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट (AFSPA) सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष सुरक्षा अधिकार देता है।

इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है। इसे हल्का बनाने और ऐक्ट के दुरुपयोग को रोकने की मांग की जा रही है। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी संग सरकार चला रही पीडीपी व नैशनल कॉन्फ्रेंस जैसे राजनीतिक दल और सिविल राइट ऐक्टिविस्ट्स AFSPA हटाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि जनरल रावत के बयान से साफ हो गया है कि फिलहाल अफस्पा हूबहू जारी रहेगा।

बिपिन रावत ने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर जैसे तनावपूर्ण क्षेत्रों में तैनाती के दौरान सेना काफी सावधानी बरत रही है जिससे मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके। रावत का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में ऐसी खबरें आई थीं कि ‘अफस्पा को हटाने की जरूरत या कम से कम कुछ प्रावधानों को हल्का करने’ पर रक्षा और गृह मंत्रालयों में कई दौर की उच्च-स्तरीय वार्ता हो चुकी है।

विशेष साक्षात्कार में जनरल रावत ने पूछा गया कि क्या सरकार अफस्पा को हल्का करने पर दोबारा विचार कर रही है? इस पर उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अभी वह समय आया है जब अफस्पा पर फिर से विचार किया जाए।’ आर्मी चीफ ने कहा कि यद्यपि अफस्पा में कुछ कड़े प्रावधान हैं पर सेना अतिरिक्त नुकसान को लेकर चिंतित रहती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऑपरेशंस कानून के तहत हों और स्थानीय लोगों को असुविधा न हो। आर्मी चीफ ने आगे कहा, ‘अफस्पा के तहत जितनी सख्ती बरती जा सकती है, वैसा हमने कभी नहीं किया।’

मानवाधिकारों को लेकर सेना का अच्छा रेकार्ड

उन्होंने कहा कि हम मानवाधिकारों को लेकर काफी चिंतित हैं, ऐसे में किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम पर्याप्त उपाय और ऐहतियात बरत रहे हैं। जनरल रावत ने कहा कि हर स्तर पर कई ऑपरेशंस के लिए सेना के अपने नियम होते हैं, जिससे अफस्पा के तहत लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हमारी सेना का काफी अच्छा मानवाधिकार रेकॉर्ड रहा है।

Also Read : दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सुरेश रैना की वापसी

पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति पर भी बोले

यह पूछे जाने पर कि क्या समय आ गया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को शामिल करते हुए सामूहिक अप्रोच की रणनीति अपनाई जाए? आर्मी चीफ ने इसका सीधेतौर पर जवाब तो नहीं दिया पर इतना जरूर कहा कि आर्म्ड फोर्सेज के पास कई प्रकार के ऑपरेशंस करने के लिए विकल्प उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘हां, हमारे पास कई प्रकार के विकल्प उपलब्ध हैं पर इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे दुश्मन सावधान हो सकता है।’

संघर्षविराम उल्लंघन पर कहा- दे रहे मुंहतोड़ जवाब

जनरल रावत ने बताया कि आज सभी खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा बल मिलकर काम कर रहे हैं। सभी में गजब का तालमेल है। गौरतलब है कि पिछले साल से ही सेना ने जम्मू-कश्मीर में काफी सख्त आतंक विरोधी नीति अपना रखी है। इससे आतंकियों के हौसले पस्त हुए हैं और पाकिस्तान के संघर्षविराम उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2017 में पाकिस्तान की ओर से 860 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया जबकि एक साल पहले यह 221 था।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More