पत्रकारिता में मिली निराशा, बन गया ‘MR’
मीडिया की चमक-दमक को देखकर पत्रकारिता आज के युवाओं की पहली पसंद बन गई है। देश के तमाम युवा पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य बनाने के लिए दूर-दराज के इलाकों से देश की राजधानी की ओर रूख करते हैं। लेकिन मीडिया की सच्चाई को बेहद करीब से जानने के बाद आज बहुत सारे युवा निराश हैं। ऐसे ही एक पूर्व पत्रकार गौरव कुलपति से हम आपको मिलवा रहे हैं जो आपको मीडिया की हकीकत से रू-ब-रू करवाएंगे।
गौरव का जन्म
04 दिसंबर 1990 को जन्में गौरव एक सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता राकेश कुलपति रेलवे में कर्मचारी थे जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं। जबकि उनकी माता एक गृहणी हैं।
गौरव का सफर
आम युवाओं की तरह ही गौरव भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से देश की राजधानी दिल्ली का रूख किया। दिल्ली पहुंचकर कई मीडिया कॉलेजों का चक्कर लगाने के बाद ‘साईं प्रसाद मीडिया ग्रुप’ के मीडिया एकेडमी ‘न्यूज एक्सप्रेस मीडिया एकेडमी’ से लाखों रुपये खर्च कर पत्रकारिता में डिप्लोमा की डिग्री ली।
करियर की शुरुआत
पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद गौरव को ‘साईं प्रसाद मीडिया ग्रुप’ के ही न्यूज चैनल ‘न्यूज एक्सप्रेस’ में बतौर ‘ज्यूनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर’ की नौकरी मिल गई। गौरव ने लगभग चार साल तक ‘न्यूज एक्सप्रेस’ के टीम असाइमेंट के हिस्सा रहे।
उन्होंने कई अच्छे प्रोजेक्ट पर अपने सीनियरों के साथ बेहतरीन काम किया। लेकिन अचानक 2015 में ‘न्यूज एक्सप्रेस’ के बंद होने के बाद गौरव सड़क पर आ गए।
कई मीडिया संस्थानों का लगाया चक्कर
जर्नलिस्ट कैफे से बातचीत में गौरव ने बताया कि चैनल बंद होने के बाद उन्होंने जॉब के लिए कई मीडिया संस्थानों के चक्कर लगाए, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। जिसके बाद निराश होकर गौरव ने अपने गृह नगर मुरादाबाद का एक बार फिर रूख किया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बनाया करियर
निराश होकर मुरादाबाद पहुंचे गौरव ने एक बार फिर खुद को साबित करने की ठान ली। जिसके बाद गौरव ने 2016 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बतौर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) के रूप में नई पारी की शुरुआत की। जिसके बाद सफलता गौरव के हाथ लगती गई। गौरव अभी बतौर मैनेजर कार्यरत है।
जुझारू पत्रकार थे गौरव
न्यूज एक्सप्रेस चैनल में गौरव के सीनियर रहे विनय कुमार ने जर्नलिस्ट कैफे से बातचीत में बताया कि गौरव अपने काम को लेकर बहुत सक्रिय रहते थे। गौरव को जो भी काम दिया जाता उसे वह बखूबी निभाते थे।