गंगा में सूख रहा पानी, बच्चे खेल रहे क्रिकेट
गंगा को अविरल, निर्मल बनाने और प्रदूषण मुक्त करने के लिए अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन संगमनगरी में गंगा की सही ढंग से निगरानी न होने से प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। इतना ही नहीं धीरे-धीरे गंगा का पानी सूखने लगा है जिसकी वजह कई जगहों पर छोटे-छोटे टापू जैसे नजर आ रहे हैं। यही टापू अब बच्चों के खेल का मैदान बन चुके हैं जहां पर अब बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। हजारों करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए मंत्री तक बदल गए लेकिन गंगा आज भी वैसी की वैसी है।
‘गंगा मां का बेटा हूं’
खुद को गंगा मैया का बेटा बता ने वाले देश के प्रधानमंत्री की लाख कोशिशों के बाद भी आज गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है। वहीं, मेंहदौरी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और बक्शी बांध एसटीपी पर गंदे पानी का अतिरिक्त दबाव होने के कारण शोधन ठीक से नहीं हो पा रहा है। इससे दूषित पानी गंगा में जा रहा है।
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बीओडी की मात्रा तीन से बढ़ गई
रसूलाबाद, संगम अप और डाउन स्ट्रीम में फरवरी महीने की तुलना में मार्च में गंगा में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा तीन से बढ़ गई, सामान्य तौर पर बीओडी की मात्रा तीन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उधर, डिजाल्व ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा पांच मिली प्रति लीटर से ज्यादा होनी चाहिए, जो कि है, लेकिन बीओडी की मात्रा बढ़ने से प्रदूषण बढ़ गया है।
गंगा में कानपुर से भी प्रदूषण आ रहा
एसटीपी और नाले के गंदे पानी के कारण दारागंज में हरी मस्जिद के सामने गंगा में तीन- चार दिन पहले कीड़े मिले थे। गंगा में कानपुर से भी प्रदूषण आ रहा है लेकिन, मेंहदौरी और बक्शी बांध के 29 एमएलडी एसटीपी पर दबाव बढ़ने से उसके ठीक से काम न करने से प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है।