रक्षक के साथ शिक्षक भी: ड्यूटी के साथ गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं पुलिस कांस्टेबल, यूपी और उत्तराखंड में हैं 35 से अधिक स्कूल, जानें इनके बारे में
आमतौर पर पुलिस के कई तरह के चेहरे देखने को मिलते हैं. कई बार पुलिस बेरहम दिखती है तो कई बार लोगों की मददगार बनती है. लेकिन यूपी के बिजनौर में पुलिस कांस्टेबल लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं. वे कानून के रक्षक भी हैं, शिक्षक भी. ये कांस्टेबल पिछले कई सालों से पुलिस की ड्यूटी निभाने के साथ-साथ निजी समय में गरीब स्कूली बच्चों को शिक्षा देते हैं और इसके लिए वो इन बच्चों से एक पैसा नहीं लेते. पुलिस कांस्टेबल का नाम विकास कुमार है. विकास यूपी और उत्तराखंड में 35 से अधिक स्कूलों को संचालन करते हैं.
डायल 112 में है तैनाती…
गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा व्यवस्था कराने वाले पुलिस कांस्टेबल विकास कुमार की उम्र 29 वर्ष है. वो सहारनपुर के कुराल्की गांव के रहने वाले हैं. विकास ने बताया कि मैं एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हूं. मेरे पिता एक छोटे किसान हैं. वो 18 साल की उम्र से अपने गांव के गरीब बच्चों को कोचिंग देते आ रहे हैं. वर्तमान में विकास कुमार यूपी सरकार की मोबाइल आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली डायल 112 में तैनात हैं, जो बिजनौर के नंगल पुलिस स्टेशन से संबद्ध हैं.
हर पाठशाला में है 7-8 टीचर…
विकास कुमार ने बताया कि मैंने यूपी पुलिस में शामिल होने के तुरंत बाद छात्रों को मुफ्त में पढ़ाने का फैसला किया. यहां 150 छात्र पढ़ते हैं, जबकि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लोग उन्हें पढ़ाने में मदद करते हैं. पुलिस कांस्टेबल विकास कुमार का कहना है कि इस क्षेत्र में हमारे पास ऐसे 35 से अधिक स्कूल हैं. विकास की कोशिश से यूपी के सहारनपुर, बुलंदशहर, बिजनौर गांव और उत्तराखंड के रुड़की में पाठशालाएं चल रही है. उनकी हर पाठशाला में 7-8 टीचर बच्चों को हर विषय की पढ़ाई कराते हैं.
Bijnor, Uttar Pradesh | I decided to teach students free of cost soon after joining the UP police. 150 students study here while people preparing for competitive exams help in teaching them. We've over 35 such schools in the region, says police constable Vikas Kumar (12.09) pic.twitter.com/xTWMqm6ebP
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 12, 2022
लोगों को पसंद आया कांसेप्ट…
वहीं, ड्यूटी के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाने का विकास का कॉन्सेप्ट कई लोगों को पसंद आया. इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप बनाया. इससे राज्य भर से लोग जुड़ने लगे. सरकारी कर्मचारी और युवाओं को मिलाकर आज इस ग्रुप में 300 सदस्य हो गए हैं. वे बिना किसी फायदा-मुनाफा के गरीब बच्चों को पढ़ाने का कार्य करते हैं. स्वयंसेवा कर रहे हैं.
मुरादाबाद डीआईजी ने की सराहना…
विकास कुमार के प्रयास ने कई सीनियर्स को अपना मुरीद बनाया है. विकास की इस अच्छी पहल के चलते बिजनौर में मुरादाबाद रेंज के डीआईजी शलभ माथुर ने पिछले बुधवार को उनको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित और उनके नेक कार्य की सराहना की.
बिजनौर एसपी ने की तारीफ…
बिजनौर के पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने बताया कि हमारे कांस्टेबल का काम काबिले तारीफ है. वह अपनी ड्यूटी के साथ-साथ समाज सेवा भी कर रहा है. उसे बुधवार को डीआईजी शलभ माथुर ने सम्मानित किया. वह गरीब बच्चों को पढ़ा रहा है. हमें उस पर गर्व है. विकास कुमार के प्रयास से चल रहे स्कूल में पढ़ाई की व्यवस्था भी बेहतर है. विकास स्वयं हर रोज किसी एक गांव के स्कूल में पहुंचते हैं. अन्य स्कूलों में चलने वाली पढ़ाई को लेकर सोशल मीडिया ग्रुप से नजर रखते हैं.