बड़ा खुलासा, यूपी में PFI सदस्य एक्टिव, लव जिहाद और धर्मांतरण का समझिये पूरा खेल

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानि पीएफआई अब यूपी में अपनी जड़ें जमा रहा है.अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए पीएफआई ने विशेष योजना शुरू कर दी है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पीएफआई अपने सदस्यों को खुला ऑफर देता कि जाओ हिंदू युवतियों से शादी करो और उनका धर्मांतरण कराओ. जिसके लिए उन्हें खुलेआम नकद रुपये दिए जाते हैं. साथ ही इनके लिए रोजगार और दुकान खोलने का पूरा इंतजाम व रहने के लिए घर भी देते हैं. यह विदेशों से हो रही फंडिंग से करते हैं.

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पीएफआई के सदस्यों ने काकोरी, लखनऊ-बाराबंकी सीमा पर कुर्सी गांव में प्रशिक्षण शिविर लगाया था. जहां पर लोगों को लव-जिहाद, धर्मांतरण करने के तरीके के बारे में जानकारी दी. साथ ही ऐसा करने वालों को संस्थान की तरह से इनामी योजनाओं के बारे में बताया.

राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों गिरफ्तार उमर गौतम धर्मांतरण कराता था. वह एसडीपीआई का सक्रिय सदस्य होने के साथ हल-हरम एकेडमी का उपाध्यक्ष था.

इसके अलावा, पिछले दिनों गिरफ्तार अहमद बेग नदवी संगठन के लिए टेरर फंड जुटाता था. वह भी नदवा में पढ़ा था और बतौर शिक्षक भी काम कर चुका है. साल 2022 में बहराइच के कैसरगंज सीट से सोशल डेमोक्रेटिव पार्टी ऑफ इंडिया के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

बता दें पीएफआई ने सबसे बड़ा हथियार लव-जिहाद को बना रखा है. इसके लिए अपने सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण देने के लिए केरल भेजते हैं. वहां पर उनको धर्मांतरण व अपनी हकीकत छिपाकर हिंदू युवतियों को अपने जाल में फंसाने का तरीका बताया जाता है. इसके साथ फर्जी पहचान पत्र भी उपलब्ध कराये जाते हैं. जिसके बाद वह अपना टारगेट लेकर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जाकर युवतियों को फंसाते हैं. उनके निशाने पर गरीब व पिछड़ी जाति के हिंदु युवक और युवतियों होते हैं. उनको भड़काने के बाद मोटी रकम मुहैया कराते हैं. ताकि वह धर्म बदलकर इस्लाम कुबूल कर लें. वहीं, युवतियों को हिंदू बनकर फंसाते है और फिर धर्मांतरण के लिए प्रताड़ित करते हैं.

क्या है पीएफआई…

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है. ये संगठन अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है. संगठन की स्थापना साल 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई. संगठन की जड़े केरल के कालीकट में गहरी हैं. फिलहाल, इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में बताया जा रहा है. एक मुस्लिम संगठन होने के कारण इस संगठन की ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिमों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं.

कई ऐसे मौके ऐसे भी आए हैं जब इस संगठन से जुड़े लोग मुस्लिम आरक्षण के लिए सड़कों पर आए हैं. संगठन साल 2006 में उस समय सुर्ख़ियों में आया था जब दिल्ली के रामलीला मैदान में इनकी तरफ से नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था. तब लोगों की एक बड़ी संख्या ने इस कांफ्रेंस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी.

फिलहाल बताया जा रहा है कि इस संगठन की जड़े देश के 24 राज्यों में फैली हुई है. कहीं पर इसके सदस्य अधिक सक्रिय हैं तो कहीं पर कम. मगर, मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में इनकी जड़े काफी गहरी है. संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है और मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए समय समय पर मोर्चा खोलता है.

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