ममता को बड़ा झटका, अपराजिता बिल पर लगी रोक…

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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप मामले के कुछ दिन बाद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार द्वारा लाए गए अपराजिता बिल पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने रोक लगा दी है. रेप के आरोपी को 10 दिन में फांसी देने वाले इस अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 को लेकर राज्यपाल का कहना है कि इस बिल में कई सारी खामियां है. इसके साथ ही यह बिल आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश के रेप बिलों की नकल है और इस तरह के बिल पहले से ही राष्ट्रपति के पास पड़े हुए हैं. इसके साथ ही राजभवन ने कहा है कि ममता लोगों को धोखा दे रही है. बिल के साथ ममता सरकार ने टेक्निकल रिपोर्ट नहीं भेजी है. तकनीकी रिपोर्ट के बिना अपराजिता बिल को मंजूरी नहीं दी जा सकती है.

दरअसल, कोलकाता में डॉक्टर रेप-मर्डर कांड (Kolkata Doctor Rape-Murder Case) के बाद देश भर में ममता सरकार के खिलाफ लोगों में क्रोध है. देश भर में हर रोज प्रदर्शन किए जा रहे हैं. वहीं इन सब के बीच अपनी छवि को सही करने के लिए बीते 3 सितंबर को ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी-रेप बिल प्रस्तुत किया था. बिल विधानसभा में पारित होने के बाद राज्यपाल को भेजा गया है.

गवर्नर आनंद बोस ने कही ये बात

बिल को मंजूरी देने से इंकार करते हुए पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस ने कहा है कि ” ममता सरकार की वजह से अपराजिता बिल अभी पेंडिंग हैं. ममता सरकार ने बिल के साथ टेक्निकल रिपोर्ट नहीं भेजी है. टेक्निकल रिपोर्ट के बिना अपराजिता बिल को मंजूरी नहीं मिल सकती है. गवर्नर आनंद बोस ममता सरकार के इस रवैये से खुश नहीं हैं. ममता सरकार ने महिलाओं से जुड़े इस बिल को लेकर कोई भी तैयारी नहीं की है. मामले को खत्म करने के लिए जल्दबाजी में लाया गया बिल है, ममता सरकार बाद में इसका आरोप राजभवन पर लगाती हैं.

इसके आगे गवर्नर आनंद बोस ने इस बिल को अन्य राज्यों के बिल की नकल बताया. कहा है कि, ”यह बिल आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश की नकल है. इस तरह के बिल राष्ट्रपति के पास पहले ही पेंडिंग है, लोगों को धोखा देने के लिए ममता धरना-प्रदर्शनों में भाग ले रहीं हैं.

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3 सितंबर को ममता सरकार लाई थी बिल

आपको बता दें कि ममता बनर्जी सरकार ने (3 सितंबर) को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में जारी बवाल के बीच विधानसभा में एक एंटी रेप बिल पेश किया था. यह अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 कहलाता है. बिल में रेपिस्ट को दोष सिद्ध होने के 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा देने का प्रावधान है. इसके साथ ही बलात्कार पीड़िता की मौत होने पर इस कानून में दोषियों को मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है. इस बिल को मौजूदा कानूनों में बदलाव के बाद प्रस्तुत किया गया है.

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बिल में क्या – क्या है ?

-इस बिल में रेप और हत्या के मामले में फांसी की व्यवस्था होगी
-आरोप साबित होने के बाद अपराजिता बिल के तहत मामले की चार्जशीट दायर करने के 36 दिन के अंदर दोषी को फांसी की सजा दी जाएगी.
-यह बिल हर जिले में अपराजिता टास्क फोर्स, टास्क फोर्स रेप, एसिड अटैक या छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई करेगा.
-एसिड अटैक के मामलों में भी सख्त सजा दी जाएगी; बिल में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
-बिल पीड़िता की पहचान बताने वाले के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेगा.

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