बीएचयू तैयार कर रहा है ‘कलयुग का अभिमन्यु’, गर्भवती महिलाओं को दिया जा रहा है संस्कार थेरेपी
वाराणसी। महाभारत के अभिमन्यु की कहानी तो सभी जानते हैं। लेकिन हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं वो कलयुग के अभिमन्यु की है। दरअसल, बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के आयुर्वेद विभाग के डॉक्टर एक विशेष थेरेपी के जरिए कलयुग के अभिमन्यु की कल्पना को साकार करने में जुटे हैं। यहां के डॉक्टर एक विशेष थेरेपी के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चों को संस्कारी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेष मंत्रोच्चार और पुस्तक के जरिए किया जा रहा है इलाज
सर सुंदरलाल चिकित्सालय के आयुर्वेद अनुभाग में प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को गर्भ संस्कार की थेरपी दे रहे हैं। इसके तहत बीएचयू के डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को महापुरुषों की किताबें पड़ने के लिए दी जाती है। यही नहीं महिलाओं को विशेष मंत्रोचार करने के लिए कहा जाता है। साथ ही उन्हें धार्मिक संगीत सुनाया जा रहा है, ताकि गर्भ में पल रहा बच्चा संस्कारी बन सकें। गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रन्थ संगीत और मंत्रोच्चार सुनाने के साथ ही अल्ट्रासाउंड के माध्यम से ये भी देखा जा रहा है कि क्या गर्भ में पल रहा बच्चा इसको किस तरह से सुन रहा है ? बीएचयू द्वारा किये गए इस तरह के प्रयास के बाद गर्भवती महिलाएं अब अपने बच्चे को संस्कारी बनाने के लिए बीएचयू आ रही है।
कोविड काल में भी पहुंच रही हैं गर्भवती
इस विशेष थेरेपी को लेकर गर्भवती महिलाएं भी उत्साहित हैं। शिवपुर की रहने वाली मीरा श्रीवास्तव हफ्ते में दो दिन थेरेपी लेने के लिए अस्पताल पहुंच रही हैं। उनके मुताबिक इस थेरेपी को लेने के बाद मन को न सिर्फ शांति मिलती है बल्कि अंदर से ऊर्जा का संचार भी मिलता है। मीरा कुमार के लिए शिवपुर की रहने वाली मीरा श्रीवास्तव की तरह कई और महिलाएं की भीड़ अस्पताल पहुंच रही हैं। कोविड काल को देखते हुए महिलाओं को पहले से नंबर लेना पड़ता है। प्रसूति तंत्र की विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनीता सुमन के अनुसार गर्भ संस्कार की स्थापना पहली बार हो रहा है, जबकि अन्य इलाज का पुनर्विकास किया गया है। उन्होंने बताया कि जिसकी परिकल्पना उन्होंने कई वर्ष पूर्व बीएचयू में की थी, उसका व्यावहारिक और वैज्ञानिक स्वरूप अब सामने आया है। इससे बगैर किसी नुकसान के स्त्री रोगों से निजात मिलेगी।
गर्भवती महिलाओं को हो रहा है फायदा
समाज मे फैली कुरीतियों को देखते हुए बीएचयू द्वारा गर्भ संस्कार की शुरुआत की गई है, जिसमें गर्भवती महिलाओं के विचार, मनोदशा, संवाद, सुख, दुख, डर, संघर्ष धर्म इत्यादि का बच्चों पर काफी प्रभाव पड़ता है। स्त्री बंध्यत्व, रजोनिवृत्ति की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को तकनीकी रूप से अत्याधुनिक बनाया गया है। जिसका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं पर करके उन महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे को संस्कारी बनाया जा रहा है।
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