Bharat Ratna: कई बार हुई सिफारिश… फिर भी नहीं मिल पा रहा भारत रत्न …
DhyanChandra Bharat Ratn Award: ध्यानचंद्र….वह भारतीय खिलाड़ी, जिन्हे हॉकी का जादूगर कहा जाता था. जिसकी धाक दुनियाभर में गूंजती थी. कहते हैं कि जब हॉकी के जादूगर यानि ‘दद्दा‘ की हॉकी स्टिक जब मैदान में चलती थी तो दुनिया की बड़ी- बड़ी टीमें उनके आगे चित हो जाती थीं. कहा जाता था कि उनकी स्टिक में चुंबकीय शक्ति है. उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई, लेकिन जांच करने वालों के हाथ कुछ नहीं लगा. इतना ही नहीं उन्होंने भारत को लगातार तीन बार ओलिंपिक में गोल्ड दिलाया.
आज है हाकी के जादूगर ध्यानचंद्र की 119वीं जयंती
बता दें कि आज ध्यानचंद्र की 119 वीं जयंती है. 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद की जयंती पर हर साल देश में 29 अगस्त को खेल दिवस मनाया जाता है. मेजर ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे दर्जे का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण तो दिया गया, लेकिन सर्वाेच्च सम्मान भारत रत्न के लिए उनके नाम की बार-बार अनदेखी की गई. इस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा तब हुई, जब 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सचिन तेंदुलकर को भारत के सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. तब 40 साल के तेंदुलकर यह सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी बने.
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ध्यानचंद के बेटे ने की भारत रत्न पर यह मांग…
मेजर धयानचन्द्र के बेटे देवेंद्र ध्यानचंद ने कहा कि भारत रत्न के लिए दद्दा के नाम की सिफारिश कई बार की गई, लेकिन उन्हें यह सम्मान नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि आज पूरा देश उनको याद कर रहा है और देश राष्ट्रीय खेल दिवस बना रहा है. भारत रत्न देने का काम सरकार का है. हमे उम्मीद है कि आने वाले समय में उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
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2011 से उठ रही भारत रत्न की मांग…
बता दें कि, 22 दिसम्बर 2011 से मेजर ध्यानचंद्र को इंडियन हॉकी फेडरेशन ने ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की थी. फिर क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी के नेतृत्व में भी एक प्रतिनिधिमंडल 12 जुलाई 2013 को तत्कालीन खेल मंत्री जितेंद्र सिंह से मिला था और उन्हें इस दिग्गज खिलाड़ी का बायोडाटा सौंपा. कहा गया कि इसकी घोषणा कुछ महीनों में ही कर दी जाएगी, लेकिन पासा पलट गया. इसके बाद अगस्त 2014 में एक बार फिर भारत रत्न देने की मांग की गई और इस पर गृह मंत्रालय ने मुहर भी लगा दी, इतना ही नहीं गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने संसद में इसकी जानकारी भी दी थी लेकिन मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया.