करोड़ों की मालकिन, गुनाहों से बचने के लिए बनी संन्यासी
राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड मामले में एटीएस ने इंदिरा विश्नोई को मध्य प्रदेश के देवास से गिरफ्तार कर लिया है। करोड़ों की जायदाद की मालकिन जोधपुर की आलीशान हवेली छोड़कर सीबीआई की आंखों में धूल झोंकने के लिए वह एक संन्यासी की झूठी जिंदगी जी रही थी। इंदिरा विश्नोई देवास के करीब 150 किलोमीटर दूर नेमावर में नर्मदा के तट पर राजस्थान के ही एक पराशर परिवार के पास रह रही थी। पिछले 200 सालों से जोधपुर का ये पराशर परिवार देवास में रहता है। इंदिरा ने यहां अपना नाम बदलकर गीताबाई रख लिया था।
जोधपुर के सरकारी अस्पताल की सहायक नर्स भंवरी देवी की अपहरण के बाद सितंबर 2011 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में नाम आने के बाद इंदिरा विश्नोई फरार हो गई थी। सीबीआई ने 2012 में उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। इसके अलावा जोधपुर की स्थानीय अदालत ने भी उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। इस बहुचर्चित हत्याकांड में राजस्थान सरकार के एक पूर्व मंत्री और एक विधायक सहित कुल 16 आरोपित जेल में बंद हैं।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सीबीआई ने कहा है कि इंदिरा विश्नोई ने ही भंवरी देवी को तत्कालीन गहलोत सरकार में मंत्री महिपाल सिंह मदेरणा के साथ आपत्तिजनक सीडी बनाने की सलाह दी थी। सीबीआई का दावा है कि इंदिरा विश्नोई ने बाद में महिपाल सिंह मदेरणा को बदनाम करने के लिए इस सीडी को सार्वजनिक कर दिया था, ताकि उसके भाई और तत्कालीन विधायक मलखान सिंह के मंत्री बनने का रास्ता साफ हो सके।
खबरों के मुताबिक भंवरी देवी के इंदिरा विश्नोई के भाई मलखान सिंह से संबंध थे और वह उससे अपना हक मांग रही थी। इंदिरा विश्नोई ने उसे रास्ते हटाने के लिए अपहरण की साजिश रची थी, जिसमें बाद में मदेरणा भी शामिल हो गए थे।
जयपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक बीजू जॉर्ज ने बताया कि पुलिस चार महीने से इंदिरा विश्नोई का पीछा कर रही थी। पुलिस ने उसे सीबीआई को सौंप दिया है जो इस मामले की जांच कर रही है।