हाथरस हादसे से पहले, देश में हो चुकी हैं ऐसी हृदयविदारक घटनाएं

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उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में पहुंचे लोगों ने भगदड़ मचने के कारण, सैकड़ो की संख्या में अपनी जान गंवा दी. इससे पहले भी कई मौकों पर भगदड़ के कारण बडी तादात में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

आइए जानते हैं कि भारत में कब-कब हुई हैं इस तरह की भगदड़ की घटनाएं-

1. 31 मार्च 2023: मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के मौके पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई.
2. एक जनवरी 2022: जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई. वहीं एक दर्जन से अधिक घायल हो गए.
3. 15 अक्टूबर 2016: उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले में बाबा जयगुरुदेव के प्रमुख शिष्य पंकज महाराज की ओर से शाकाहार और मद्यनिषेध के प्रचार के लिए निकाले गए धार्मिक जुलूस के दौरान मची भगदड़ में 24 से अधिक लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन लोग घायल हो गये.
4. 14 जुलाई 2015: आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी जिले में ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ से 27 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई जबकि 20 लोग घायल हो गए.
5. 3 अक्टूबर 2014: बिहार के पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह समापन होने के तुरंत बाद भगदड़ मचने से 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए.
6. 13 अक्टूबर 2013: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान मची भगदड़ में काफी संख्या में लोगों ने जान गंवा दी थी. बता दें कि हादसे में 115 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. नदी के पुल टूटने की अफवाह से भगदड़ की शुरुआत हुई.
7. 19 नवंबर 2012: पटना में ही दूसरी भगदड़ की घटना तब हुई थी जब गंगा नदी के तट पर अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में लगभग 20 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
8. 8 नवंबर 2011: हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर हरकी पैड़ी घाट पर मची भगदड़ में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई.
9. 14 जनवरी 2011: केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में एक जीप के सबरीमाला मंदिर के दर्शन कर लौट रहे भक्तों से टकरा गई जिससे भगदड़ मच गई. इस हादसे में भी 104 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. वहीं 40 से अधिक घायल हो गए.
10. 4 मार्च 2010: यूपी के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में स्वयंभू धर्मगुरु द्वारा दान किए जा रहे कपड़े और भोजन लेने पहुंचे लोगों में अचानक भगदड़ मचने से करीब 63 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
11. 30 सितंबर 2008: राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह के कारण मची भगदड़ में 250 से अधिक श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी और 60 से अधिक लोग घायल हो गए.
12. 3 अगस्त 2008: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान खिसकने की अफवाह के कारण मची भगदड़ में 162 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 47 घायल हो गए.
13. 25 जनवरी 2005: महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालुओं की एक-दूसरे पर दबने से मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए. यह दुर्घटना तब हुई जब कुछ लोग फिसलन भरी सीढ़ियों पर गिर गए.
14. 27 अगस्त 2003: महाराष्ट्र के नासिक जिले में सिंहस्थ कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ मचने के कारण 39 लोग ने अपनी जान गंवा दी जबकि करीब 140 घायल हो गए.

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धार्मिक कार्यक्रमों में रखें खास ध्यान

उपरोक्त सभी हादसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर धार्मिक कार्यक्रमों से जुड़े हुए थे. सामान्यतः धार्मिक कार्यक्रमों में भारी संख्या में लोगों का जुटान होता है. लोग अनुमानित संख्या से अधिक संख्या में पहुंच जाते हैं. वहीं प्रशासन भी इतने अधिक लोगों को संभालने में नाकामयाब साबित होता रहा है. ऐसे में लोगों को इन कार्रक्रमों को लेकर व्यक्तिगत तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए. छोटे बच्चेख्‍ महिलाएं, बुजुर्ग लोगों को भीड़ वाली जगह जाने से बचना चाहिए. वहीं प्रशासन को भी इसको लेकर खासा तैयारी करने की जरूरत होती है. अधिकांश मामलों में देखा गया है कि धार्मिक कार्यक्रमों में संख्या से अधिक लोग पहुंच जाते हैं और ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. वहीं कार्यक्रम स्थली भी ऐसी स्थान पर रखना चाहिए जहां लोगों के आने जाने को लेकर जरूरत की जगह हो. संकरी और बंद जगहों पर सीमित संख्या में ही भीड़ को अनुमति देनी चाहिए.

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