कोहली भक्ति में चूर है बीसीसीआई : रामचंद्र गुहा
विराट कोहली की कप्तानी में लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीत चुकी टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज क्या गंवाई, कोहली अचानक आलोचकों के निशाने पर आ गए। भले ही सेंचुरियन टेस्ट में भारत की ओर से विराट कोहली ने शानदार 153 रन की पारी खेलकर भारतीयों टीम को उस मैच में बनाए रखा था, लेकिन बावजूद इसके कोहली अपनी कप्तानी और टीम चयन के फैसलों को लेकर आलोचकों का निशाना बन रहे हैं। इस कड़ी में प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा का नाम भी शामिल हो गया है। गुहा ने बीसीसीआई के अधिकारियों को कोहली भक्ति करने के आरोप में आड़े हाथों लिया है और कोच रवि शास्त्री को भी कमजोर कोच करार दिया है।
बता दें लोढ़ा समिति की सिफारिशों को बीसीसीआई में लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो प्रशासनिक समिति (CoA) नियुक्त की थी, उसमें रामचंद्र गुहा भी सदस्य थे। बाद में उन्होंने इस समिति से इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में रामचंद्र गुहा ने अपना एक लेख ‘टेलिग्राफ’ अखबार में लिखा है। इस लेख में गुहा ने कोहली की कप्तानी की जमकर आलोचना की है।
अपने इस लेख में रामचंद्र गुहा ने बीसीसीआई के अधिकारियों, सिलेक्टर्स और कोचिंग स्टाफ पर आरोप लगाया है कि ये सभी कोहली भक्ति में चूर हैं और कोई भी फैसला करने से पहले कैप्टन कोहली की सलाह को अहम समझते हैं। इसी कारण टीम इंडिया विदेशी दौरे पर सफल होने से वंचित रह गई।
अपने इस लेख में गुहा ने कहा, ‘बीसीसीआई के अधिकारी कोहली की भक्ति में इस तरह चूर हैं कि शायद भारतीय केबिनेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस तरह नहीं पूजा जाता होगा।’ गुहा ने रवि शास्त्री को कमजोर कोच कहते हुए लिखा है, ‘रवि शास्त्री सरीखे कमजोर कोच की कमियां घरेलू सीरीज के दौरान छिप गईं, लेकिन अब टीम विदेशी दौरों पर है और सच्चाई सामने आने लगी है।’
गुहा ने कोच चयन के मुद्दे पर लिखा, ‘सचिन तेंडुलकर, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की मौजूदगी वाली सलाहकार समिति, जिसके कामकाज पर विनोद राय की भी नजर थी। उसने अनिल कुंबले को हटाकर रवि शास्त्री जैसे साधारण क्रिकेटर को इसलिए कोच बना दिया क्योंकि कप्तान उन्हें चाहता था। यह विराट के रुत्बे के आगे समर्पण था।’ गुहा ने लिखा कि कोच चुनने के दौरान टॉम मूडी जैसे अनुभवी विकल्प भी थे। इसके बावजूद एक ऐसे शख्स को कोच चुना गया, जिसे कोई अनुभव नहीं था और जिसका क्रिकेटिंग करियर भले लंबा रहा हो, लेकिन उसका प्रदर्शन औसत ही रहा था।
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इस मौके पर उन्होंने अनिल कुंबले की तारीफ करते हुए लिखा, ‘कुंबले भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े मैच विनिंग बोलर थे। वे अपना कद और भूमिका दोनों को जानते थे। इसलिए वे हर बार कप्तान की बात नहीं मानते थे। वह देश में इकलौते शख्स थे, जो रुतबे में विराट की बराबरी पर रहे। शायद यही उनकी विदाई का कारण भी बना।’
बतौर कप्तान भले ही गुहा ने विराट की जमकर आलोचना की हो, लेकिन बतौर खिलाड़ी उन्होंने विराट की तारीफ भी की है। उन्होंने लिखा कि विराट कोहली भारत के महान बल्लेबाजों में शुमार हैं, जो किसी भी परिस्थिति में शानदार खेल खेलते हैं। उनका क्लासिक और ओर्थोडोक्स खेल उन्हें टेस्ट क्रिकेट में द्रविड़ और गावसकर की श्रेणी में लाता है। उन्होंने कोहली के सीमित ओवरों के खेल की भी तारीफ की और रन चेज करने के मामले उन्हें सबसे उत्कृष्ट बल्लेबाज बताया।
(साभार- नवभारत टाइम्स)