JMM का अभेद किला है बरहेट, जहां से हेमंत सोरेन ने किया नामांकन…
1990 से अजेय रही है JMM
रांची : झारखण्ड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन का कल आखिरी दिन है. इससे पहले आज कई दिग्गज अपना नामांकन भर रहे हैं. इसके लिए आज झारखण्ड में मेगा नॉमिनेशन का नाम दिया गया है, जिसमें झारखण्ड के सीएम सोरेन उनकी पत्नी कल्पना सोरेन समेत कई दिग्गज नेता शामिल हैं.
बरहेट से हेमंत ने किया नामांकन…
बता दें कि हेमंत सोरेन ने बरहेट से तीसरी बार अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. इससे पहले वह यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने यहां सबसे पहले 2014 में जीत हासिल की थी और उसके बाद 2019 का विधानसभा चुनाव भी यही से जीते थे. इसके बाद वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
4 दशक से JMM का कब्ज़ा…
झारखण्ड की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई थी. तब से लेकर आज तक यहां पर केवल JMM (झारखंड मुक्त मोर्चा) का कब्ज़ा है. इस पार्टी में रहते सभी ने जीत हासिल की है जबकि दल बदलने के बाद उसे हार का सामना करना पड़ा है.
ST के लिए आरक्षित है विधानसभा सीट
बता दें कि यह विधानसभा सीट झारखण्ड की 81 विधानसभा सीटों में अनुसूचित जनजाति यानी ST के लिए आरक्षित है. यह साहिबगंज जिले में है. बरहेट विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति यानी SC के मतदाताओं की संख्या 8,324 (लगभग 4.26 प्रतिशत) है. जबकि यहां मुस्लिम मतदाताओं की भी संख्या काफी है.
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प्रत्याशी नहीं तीर-धनुष को देते हैं वोट
अगर यह कहें कि इस विधानसभा के लोग प्रत्याशी नहीं बल्कि तीर- धनुष देखकर वोट देते हैं तो गलत नहीं होगा क्योंकि यहां ऐसा हुआ भी है. आदिवासियों के परंपरागत हथियार तीर-धनुष को यहां के लोग देवता के रूप में पूजते हैं. यही वजह है कि वर्ष 1990 से लगातार वर्ष 2019 तक इस सीट पर जेएमएम का कब्जा रहा. यहां तक कि पूर्व विधायक हेमलाल मुर्मू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा, तो उन्हें यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा.
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LJP से ज्यादा NOTA को वोट…
हेमंत सोरेन की सीट की बात करें तो यहां 2014 में चिराग पासवान की पार्टी LJP (लोक जनशक्ति पार्टी)को नोटा से भी कम वोट मिले थे. 2019 में LJP उम्मीदवार को जहां 1844 मत मिले वहीं नोटा पर 2566 मत पड़े. जबकि 2014 में नोटा पर 2462 मत पड़े थे.