यूपी का एक ऐसा गांव… जहां CCTV से होती है निगरानी, ग्रामीण पीते हैं RO का पानी, सरकारी स्कूल के बच्चों की अंग्रेजी है तूफानी

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साफ और शुद्ध आरओ का पानी, सीसीटीवी कैमरे से निगरानी और अंग्रेजी में बातचीत करना आमतौर पर केवल शहर के लोग ही करते हैं. मगर, हम आपसे कहें कि ये सब कुछ एक गांव में होता है तो शायद आप इसे मानने से इंकार कर दें. लेकिन, ये सच है और ऐसा ही पहला गांव यूपी के बरेली जिले में है, जिसका नाम है भरतौल. इस गांव में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) जल उपचार प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के दौरान, दूषित पदार्थों को फिल्टर किया जाता है और स्वच्छ पीने के पानी को छोड़कर अन्य दूषित पदार्थ को हटा दिया जाता है.

 

दरअसल, बरेली का भरतौल रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) का पानी ग्रामीणों के घर तक पहुंचाने वाला यूपी का पहला गांव बन गया है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार हासिल करने वाले इस गांव में घरों के आसपास ग्राम निधि से 20 आरओ सिस्टम लगाए जा रहे हैं, जिसमें अभी तक 5 सिस्टम लग चुके हैं. सभी सिस्टम पानी के टैंक से जोड़े गए हैं. ग्रामीण इन्हीं आरओ सिस्टम से होकर आने वाले पानी का घरों में इस्तेमाल कर रहे हैं.

इसके अलावा, भरतौल गांव की सुरक्षा के लिए ग्राम पंचायत ने पंचायत सचिवालय से लेकर चौराहों तक पर सीसीटीवी लगवाए हैं. पंचायत सचिवालय से सीसीटीवी का कंट्रोल रूम बनाया गया है.

साथ ही, भरतौल गांव की इंग्लिश मीडियम प्राथमिक स्कूल की वजह से यूपी में अलग पहचान है. यहां सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गांव के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी में बातचीत करते हैं. बरेली मंडल के सबसे अच्छे कम्युनिटी टॉयलेट भी भरतौल में ही बने हैं.

 

 

बता दें जाट रेजीमेंट से सटे भरतौल गांव की आबादी करीब 7 हजार है. यहां प्रदेश का सबसे सुंदर पंचायत सचिवालय बना है. गांव को पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू करने के मामले में पिछले वित्तीय वर्ष में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार मिले हैं. इनमें 12-12 लाख की पुरस्कार राशि ग्राम पंचायत के विकास के लिए दी गई थी. ग्राम प्रधान प्रवेश कुमारी ने ग्राम निधि से आरओ के पीने के पानी का इंतजाम किया है. प्रति आरओ 75 हजार की लागत आई है. घरों के आसपास सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें लगाया गया है. सिस्टम के लिए बिजली आपूर्ति का इंतजाम भी किया गया है.

भरतौल गांव में कूड़ा के एकत्र करने के लिए शेड बनाया गया है. डोर-डोर टू कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था है. ग्राम पंचायत के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ-साथ ठेले भी रहते हैं. जो कूड़े को लेकर शेड में पहुंचते हैं. प्लास्टिक और कांच के साथ सूखा-गीला कूड़ा भी अलग किया जाता है.

भरतौल की ग्राम प्रधान प्रवेश कुमारी ने बताया कि

‘ग्रामीणों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है. पीने के पानी को लेकर दिक्कतें थीं. गांव में आरओ सिस्टम लगाए हैं. जरूरत के मुताबिक कुछ और आरओ सिस्टम लगाएंगे. साफ-सफाई को लेकर ग्रामीण जागरूक हैं. भरतौल निर्मल ग्राम पंचायत है.’

 

बता दें भरतौल गांव में 850 मकान हैं. इनमें से 350 मकान फौजियों के हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात काफी फौजियों के परिवार भरतौल गांव में रहते हैं.

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