बनारसियों ने खेली चिता भस्‍म की होली,  निकाली शोभायात्रा

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काशी को वाराणसी और बनारस भी कहा जाता है. इसके अलावा मोक्ष, धर्म और संस्‍कृति की नगरी का नाम भी दिया गया है. यहां पर्व मनाने का अलग और अनुठा अंदाज होता है. यही कारण है कि काशी को पूरी दुनिया से अलग नगरी कहा जाता है. पूरा देश जहां रंग और गुलाल से होली खेलता है, लेकिन भगवान शिव की इस प्यारी नगरी में चिता के भस्म से होली खेली जाती है. जी हां ऐसी होली केवल बनारस में ही खेली जाती है, इसीलिए इस होली को देखने के लिए देश से नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. इसी क्रम में महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर लोगों ने बुधवार को चिता भस्म की होली लुत्‍फ उठाया. सैकड़ों की संख्या में भक्तों के साथ औघड़ और भगवान शिव व गौरी पार्वती के प्रतीकात्मक स्वरूप बने लोग भी जमकर चिता भस्म की होली खेलते दिखाई दिये.

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हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंजा घाट

सुबह हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरा घाट गूंज उठा. एकतरफ चिता जल रही थी तो दूसरी तरफ लोग होली खेल रहे थे. नजारा देखने लायक रहा. सैकड़ों वर्ष पुराने इस परंपरा को आज भी यहां के लोग निभा रहे हैं. महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर एक तरफ जहां औघड़ ढोल नगाडों व डमरू की ध्‍वनि पर नाचते दिखाई दिये.वहीं दूसरी तरफ बनारस के युवा भी जमकर नाचते नजर आए. सभी ने एक दूसरे पर चिता भस्म और गुलाल उड़ाए.

कीनाराम स्‍थल से निकली शोभायात्रा

इस दौरान रवींद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम स्थल से शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें विभिन्न भगवानों के स्वरूप के साथभूत, पिशाच, चांडाल, हाकिनी, डाकिनी चुड़ैलप्रतीकात्मक रूप में नजर आईं. सभी बाबा के बारात में नाचते गाते नजर आए. शंकर काप्रतिरूप बने युवक ने बताया ‘मैं अन्‍यलोगों के साथ यहां पर आया हूं और मैं भगवान शंकर का रूप धारण किया हूं. प्रत्येकवर्ष आता हूं. बहुत ही अच्छा लगता है. कुछ महिलाओं ने कई सालों से चिता भस्म कीहोली में शामिल होने की जानकारी दी. बताया कि हम लोग यही बनारस के रहने वाले हैंऔर आज हम अपनी सहेलियों के साथ चिता भस्म की होली खेलने हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचेहैं. बहुत ही अच्छा अनुभव रहा. वास्‍तव में बाबा विश्वनाथ की नगरी दुनिया से अलग है.चला सुब्बा राव शास्त्री ने बताया ये बहुत पुरानी परंपरा है, आज फागुनएकादशी के दिन बाबा मां पार्वती का गौना करा कर लाते हैं. ऐसे में भगवानों के साथमहादेव होली खेलते हैं, लेकिन भूत पिशाचके साथ नहीं खेल पाते. औघड़ और भूत प्रेत के अनुरोध पर बाबा भोलेनाथ श्मशान घाटमें आकर चिता भस्म की होली खेलते हैं. इसी परंपरा का निर्वहन आज यहां किया गया है.

इस दौरान घाट पर दो गुटों के बीच मारपीट हो गई जिसके चलते कुछ देर तक अफरातफरी का माहौल रहा.

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