Banaras की मिठाइयों को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
बनास काशी संकुल में बनेंगी लाल पेड़ा और लौंगलता मिठाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे के दौरान नवनिर्मित बनास काशी संकुल का लोकार्पण करेंगे. यह पूर्वांचल के लिए सहकार से समृद्धि की तरफ बड़ा कदम होंगा. गुजरात में किसान और पशुपालकों के लिए सहकार से समृद्धि को यथार्थ में बदलने वाला यह मॉडल उत्तरप्रदेश की सहकारिता को मजबूत बनाएगा. बनास काशी संकुल में न सिर्फ दूध प्रोसेसिंग किया जाएगा, बल्कि दूध में से यहां की सुप्रसिद्ध मिठाइयां जैसे लाल पेड़ा और लौंगलत्ता भी बनाया जाएगा. यह मिठाईयां अमूल के ब्रांड से बाजार में उपलब्ध होंगी. इससे बनारस की इन मिठाइयों को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी.
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रस्तावित दो दिनी कार्यक्रम पर 22 फरवरी को काशी आएंगे. अगले दिन 23 फरवरी को करखियांव एग्रो पार्क में 500 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन अमूल प्लांट समेत 4200 करोड़ की लागत वाली 21 परियोजनाओं का लोकार्पण व 30 एकड़ परिक्षेत्र में भेल की दूसरी इकाई समेत 2000 करोड़ की 12 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे.
प्रतिदिन 10,000 किलोग्राम मिठाइयों का होगा निर्माण
बनास डेयरी ने बनास काशी संकुल में प्रतिदिन 10,000 किलोग्राम क्षमता की पारंपरिक भारतीय मिठाइयों के निर्माण की अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की है. इस संयंत्र में जैसे लाल पेड़ा, लौंगलता, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, रसमलाई, रबड़ी, काजू कतली, मिल्क केक, रसगुल्ला और गुलाब जामुन बनाया जाएगा. इन मिठाइयों का निर्माण यथासंभव स्वचालित रूप से सबसे स्वच्छ वातावरण और उपकरणों में किया जाएगा. ताकि मिठाई की गुणवत्ता, सेल्फ लाइफ और पारंपरिक स्वाद को सुनिश्चित किया जा सके. मिठाइयों की पैकिंग उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न ‘SKU‘ में की जाएगी. मिठाइयों की ताजगी, सेल्फ लाइफ और उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए लालपेड़ा, लड्डू, लौंगलता और काजू कतली के लिए सिंगल सर्व पैकिंग की शुरुआत इस प्लांट से की जा रही है. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयों को अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाएगा. बनारस की कचौड़ी-जलेबी, मलइयो से लगायत कई मिष्ठानों की पहचान तो हैं ही लेकिन अब लाल पेड़ा और लौंगलता को नई पहचान मिलेगी.