बनारस: मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना : मुआवजा न लेनेवाले किसानों की भूमि पर वीडीए की कार्रवाई पर लगी रोक
मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना : मुआवजा न लेनेवाले किसानों की भूमि पर वीडीए की कार्रवाई पर लगी रोक –
वाराणसीः मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुआवजा न लेने वाले किसानों की भूमि पर वीडीए द्वारा कोई कार्रवाई करने पर सोमवार को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवम्बर को होगी. न्यायालय के आदेश की जानकरी मिलते ही किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई. उन्होंने कहा कि लम्बे समय से अपने जमीन के हक की लड़ाई लड़नेवाले किसानों और उनके परिवारों को इससे मजबूती मिली है. साथ ही पिछले दिनों लाठीचार्ज में घायल और जेल भेजे गये किसानों व उनके परिजनों को राहत मिली है. यह आदेश इस लड़ाई में शहीद हुए किसानों की शहादत का नतीजा है. उधर, उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से खुश किसानों , महिलाओं और बच्चों ने बैंड बाजे के साथ गांव में जुलूस निकाला.
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इस मामले में किसानों की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर योजना से संबंधित रिट याचिका दाखिल की गई थी. राजकुमार व 129 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश मामले में न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश के समक्ष सुनवाई हुई।.अदालत में वादी के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह व तेजस सिंह ने किसानों का पक्ष रखा. बताया कि 31 मई को न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया कि जिन किसानों ने मुआवजे के लिए अभी तक सहमति नहीं दिया या मुआवजा नहीं लिया है, उनकी जमीन के अवार्ड (एग्रीमेंट) की कार्रवाई छह सप्ताह के अंदर की जाय. जब तक अवार्ड की कार्रवाई पूर्ण न हो जाए तब तक उन किसानों के मालिकाना हक में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न किया जाय. परन्तु वीडीए ने मुआवजा लेने और न लेनेवाले किसानों की जमीन पर जबरिया कब्जा की कार्रवाई करते हुए सीमेंटेड पीलर लगा दिया है। इस कारण किसान अपनी भूमि पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। इस पर न्यायालय ने प्रदेश सरकार के अधिवक्ता से जवाब तलब किया। शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि सम्पूर्ण रिपोर्ट व आख्या प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाय। इस पर न्यायालय ने यह आदेश पारित किया कि उत्तर प्रदेश राज्य व वाराणसी विकास प्राधिकरण छह नवम्बर तक पूरी स्थिति अपडेट करें। तब तक उच्च न्यायालय के आदेश का अक्षरशः पालन किया जाय। सोमवार को न्यायालय में सुनवाई के दौरान किसानों के अधिवक्ताओं ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन वीडीए नहीं कर रही है और किसानों के साथ जबरदस्ती की जा रही है। किसान अपनी भूमि पर न जा पा रहे हैं और न खेती कर पा रहे हैं। न्यायालय ने इसका संज्ञान में लेते हुए शासकीय अधिवक्ता से जबाब मांगा। उनकी तरफ़ से कोई साक्ष्य या जबाब न मिलने पर न्यायालय ने चेतावनी देते हुए किसानों की भूमि पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश पारित किया।
किसानों के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह व तेजस सिंह ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय का यह आदेश किसानों के लिए राहत का काम करेगी। हमें न्यायालय पर विश्वास है कि जल्द ही किसानों को पूर्ण न्याय मिलेगा। अदालत में सुनवाई के दौरान किसानों का प्रतिनिधित्व करनेवाले वादी पैरोकार वीरेंद्र उपाध्याय, लालबिहारी, राणा चौहान, सुरेन्द्र, कन्हैया लाल, संजय कुमार न्यायालय में उपस्थित रहे.