अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर, GDP ग्रोथ गिरकर 4.5 प्रतिशत

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अर्थव्यवस्था के मोर्चे में बुरी खबर है।
देश की आर्थिक विकास दर में सितंबर तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है।
जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.5 फीसदी रही।

जबकि एक साल पहले इस समय आर्थिक विकास दर 7 फीसदी थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बुनियादी उद्योगों (Core Sector) का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत गिरा।

कोर सेक्टर और औद्योगिक वृद्धि की हालत खराब

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कायार्न्वयन मंत्रालय जुलाई-सितंबर के त्रैमासिक वृद्धि के आंकड़े आज जारी करने थे।
ऐसा पहले ही माना जा रहा था कि इसमें 4.3 से 4.7 फीसदी वृद्धि होगी, जो कि पहली तिमाही में रही।

5 फीसदी वृद्धि दर से कम है।
कोर सेक्टर और औद्योगिक वृद्धि (IIP) दोनों की हालत अगस्त और सितंबर महीने के दौरान खराब रहे।

असर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पर नजर आएगा

इसका असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर नजर आएगा।

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की थी।

जिसमें दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर केवल 4.2 फीसदी आंकी थी।
बैंक इसे कम ऑटोमोबाइल बिक्री, वायु यातायात में मंदी, कोर सेक्टर की खस्ता हालत और निमार्ण एवं बुनियादी ढांचे के निवेश में गिरावट को वजह मान रहा था।

पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी

अर्थव्यवस्था के मोर्चे में बुरी खबर है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी।

पिछली 26 तिमाहियों में सबसे धीमी विकास दर

पिछली 26 तिमाहियों में यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी विकास दर है।
एक साल पहले यह 7 प्रतिशत थी जबकि पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी।
इसके अलावा, अक्टूबर महीने में 8 कोर सेक्टरों का इंडस्ट्रियल ग्रोथ -5.8 प्रतिशत रही है।

पहले 7 महीने में ही राजकोषीय घाटा लक्ष्य से पार

2018-19 के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है।
पहले 7 महीनों में राजकोषीय घाटा 7.2 ट्रिलियन रुपये (100.32 अरब डॉलर) रहा जो बजट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रखे टारगेट का 102.4 प्रतिशत है।
सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में सरकार को 6.83 ट्रिलियन रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि खर्च 16.55 ट्रिलियन रुपये रहा।

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