श्रावण में हर सोमवार को विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देंगे बाबा काशी विश्वनाथ

अलग-अलग स्वरूपों में किया जाएगा बाबा विश्वनाथ का श्रृंगार, सीएम योगी ने सावन में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में भक्तों के सुगम दर्शन और सुरक्षा का दिया है निर्देश

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावण मास में काशी विश्वनाथ धाम आने वाले भक्तों के सुमग दर्शन व सुरक्षा के निर्देश दिये हैं. श्रद्धालुओं को परेशानी न हो, इसके लिए मंदिर प्रशासन चाक चौबंद व्यवस्था में जुटा है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में श्रावण मास के सभी सोमवार को महादेव अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे. इस वर्ष सावन में पांच सोमवार पड़ रहे है. प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ का अलग अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाएगा. महादेव का अति प्रिय सावन मास इस वर्ष 22 जुलाई (सोमवार) से प्रारंभ होकर 19 अगस्त (सोमवार) तक चलेगा.

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सावन में शिवमय हो जाती है काशी

शिवमय काशी सावन में अलग ही रंग में दिखती है. इस दौरान काशी और यहां से शिव मंदिरों की छटा ही निराली होती है. काशीवासियों के अलावा देश के कोने-कोने से आनेवाले श्रद्धालुओं के अलावा बड़ी संख्या में कांवर यात्री प्रयागराज संगम से जल लेकर बाबा का अभिषेक करने आते हैं. समूची नगरी हर-हर महादेव और बोल बम के उद्घोष से गूंजती रहती है. श्रावण माह के सभी सोमवार को बाबा अपने विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देंगे. प्रत्येक सोमवार को उनका अलग-अलग स्वरूपों में शृंगार किया जाएगा. गौरी शंकर स्वरूप, अर्धनारीश्वर, बाबा का अपने परिवार माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेशजी के साथ शृंगार होगा. इसके अलावा बाबा का रुद्राक्ष शृंगार व श्रावण पूर्णिमा वार्षिक झूला शृंगार भी किया जाएगा. श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि इस वर्ष सावन के सभी पांचों सोमवार को बाबा का शृंगार उनके अलग अलग स्वरूपों में किया जायेगा. बाबा के दर्शन के लिए आने वाले भक्त श्री काशी विश्वनाथ का निम्न स्वरूपों का दर्शन कर पाएंगे।

पांचों सोमवार पर इन स्वरूपों में होंगा बाबा का शृंगार

22 जुलाई -पहला सोमवार- -बाबा के चल प्रतिमा का शृंगार

29 जुलाई -दूसरा सोमवार -गौरी शंकर (शंकर पार्वती ) शृंगार

05 अगस्त -तीसरा सोमवार -अर्धनारीश्वर स्वरूप शृंगार

12 अगस्त- -चौथा सोमवार -रुद्राक्ष शृंगार

19 अगस्त -पांचवा सोमवार – शंकर पार्वती गणेश श्रृंगार एवं श्रावण पूर्णिमा वार्षिक झूला शृंगार

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