Baati Chokha Day: अपनी परंपराओं अक्षुरण रखने के लिए लगाया गया टाइम कैप्सूल
बाटी चोखा सिर्फ एक भोजन ही नहीं बल्कि एक भाव है , यह बिहार और उत्तर प्रदेश के विशेष भोजनों में से एक है जो सदियों से लोगों के हृदय के बेहद करीब रहा है . 25 फरवरी 2024 को बनारस के बाटी चोखा रेस्टोरेंट ने इस दिन को बाटी चोखा डे के रूप में मनाया.
आपने 25 वर्ष पूरे करने की खुशी में बाटी चोखा टीम ने अगले 300 सालों के लिए टाइम कैप्सूल में अपनी पारंपरिक वस्तुओं का संरक्षण किया ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए सालों साल तक अपनी परंपराओं से जुड़े रहें. यह रेस्टोरेंट महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करता है, इसीलिए इस टाइम कैप्सूल को 8 मार्च महिला दिवस के दिन अहरौरा मिर्जापुर में 10 फीट नीचे डाला जायेगा जो की आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनेगा.
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टाइम कैप्सूल क्या है ?
टाइम कैप्सूल भविष्य देखने के लिए एक चमत्कारी उपकरण के रूप में कार्य करता है. यह विभिन्न वस्तुओं, लेखों और यादों को सील कर देता है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उस समय का अनुभव कर सकें. यह ऐतिहासिक साक्षरता को स्पष्ट रूप से साकार करने का एक तरीका है. टाइम कैप्सूल बचपन से लेकर वयस्क होने तक के सभी अनमोल पलों को इकट्ठा करने का एक माध्यम बन जाता है. यह ब्रह्मांडीय यात्रा की भावनाओं को जागृत करता है और उस समय की भूली हुई यादों को ताजगी के साथ याद करने का एक साधन के रूप में कार्य करता है.
दुनिया में पहली बार बाटी चोखा ने इंट्रोड्यूस किया टाइम कैप्सूल
बाटी चोखा डे के अवसर पर बाटी चोखा टीम ने एक बहुत अनोखी चीज दुनिया के सामने पेश की टाइम कैप्सूल इसमें आने वाली पीढ़ियों के लिए मैसेज और वहा पर इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे की मिट्टी का कुल्हड़ पत्तल जैसी चीजों को संरक्षित करने के लिए और आने वाली पीढ़ियां इसे देख सके इसीलिए इस टाइम कैप्सूल को इंट्रोड्यूस किया गया.
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