Ayodhya : प्रायश्चित व कर्मकूटी पूजा के साथ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुभारम्भ

राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मंगलवार से सात दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का शुभारम्भ हो गया.

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राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मंगलवार से सात दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का शुभारम्भ हो गया. पहले दिन प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजन के लिए वाराणसी के वैदिक विद्वान रामसेवकपुरम स्थित विवेक सृष्टि में पहुंचे. मुख्य यजमान के रूप में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा व उनकी पत्नी ने विधि विधान से पूजन-अर्चन की. इस दौरान रामलला की प्रतिमा का निर्माण करने वाले अरुण योगीराज और अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे.

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देशभर से 121 विद्धान पहुंचे अयोध्या

22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला का नूतन विग्रह प्रधानमंत्री के हाथों से स्थापित कराया जाएगा. विवेक सृष्टि में शुरू हुआ अनुष्ठान आगे राम जन्मभूमि परिसर में किया जाएगा. इसे संपन्न कराने के लिए देश भर से 121 विद्वान पहुंचे हैं. यह सभी विधि विधान काशी के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की मौजूदगी में होगा. मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा तक के लिए ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा मुख्य यजमान के रूप में होंगे. 22 जनवरी को रामलला को गर्भगृह में विराजमान कराया जाएगा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अनुष्ठान को संपन्न कराएंगे और रामलला की पहली आरती उतारेंगे. इसके पहले 17 जनवरी को पूजन के लिए रामलला की पांच वर्षीय प्रतिमा को राम जन्मभूमि परिसर में लाया जाएगा. 18 जनवरी को गर्भगृह में रामलला विराजमान होंगे.

क्यों होती है प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजा

अयोध्या के रामघाट मोहल्ला स्थित विवेक सृष्टि आश्रम में प्रायश्चित या पश्चाताप और कर्मकुटी पूजा हुई. यह अनुष्ठान मूर्ति के निर्माण के दौरान हथौड़े, छेनी या अन्य औजारों से हुई पीड़ा के पश्चाताप के लिए किया जाता है. अनुष्ठान के दौरान भगवान राम की प्रतिमा से क्षमा याचना की गई. प्रायश्चित्त के क्रम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य व यजमान डॉ. अनिल मिश्र और उनकी पत्नी सरयू तट पर नया घाट गये. डॉ. अनिल मिश्र का मुंडन कराया गया. अनुष्ठान के भाग के रूप में और शुद्धिकरण प्रक्रिया के तहत उन्हें अगले सभी अनुष्ठानों के लिए मेजबान के रूप में स्थापित किया गया था. डॉ. अनिल के साथ उनकी पत्नी ने भी सरयू में स्नान कर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की प्रक्रिया का निर्वहन किया. याज्ञिक गणेश्वर दत्त द्रविड़ ने कहा कि सरयू तट पर ऐसे कई अनुष्ठान किए जा रहे हैं. इससे यजमान का मन, शरीर और इंद्रियां शुद्ध होंगी. इसके बाद यजमान प्राण प्रतिष्ठा के अन्य अनुष्ठानों में भाग ले सकेंगे, डॉ. अनिल मिश्रा ने कहा कि वे ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की गतिविधियों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सफलतापूर्वक संपन्न करा सकें.

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