बारिश में बीमारियों से बचें, करें इन 4 जड़ी – बूटियों का सेवन
भीषण गर्मी के बाद सुकून देने वाली बारिश के मौसम का हर किसी को इंतजार रहता है. ऐसे में जहां कुछ लोग बारिश में भींगकर मौसम का लुफ्त उठाते हैं, तो वहीं कुछ चाहते हुए भी इस मौसम का मजा नहीं ले पाते हैं. इसका कारण हैं कि उन्हें बारिश में भींगते ही बीमारी हो जाती है. बरसात में बीमारियां कई वजहों से फैलती है. इसमें एक तरफ तो बारिश में भींग जाने की वजह से सर्दी, जुकाम, बुखार होता है तो, दूसरी तरफ बारिश में जमा हुए पानी से वायरस जैसे, डेंगू, मलेरिया का खतरा रहता है. यदि आप के लिए मानसून मुसीबत बन गया है तो, यह खबर आपके लिए है. क्योंकि, इस खबर में हम आपको चार ऐसी जड़ी बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको मानसूनी बीमारियों से बचाने में मदद करेंगी…
मानसूनी बीमारियों से बचाव के लिए करें इन जड़ी बूटियों का सेवन
गिलोय
गिलोय जिसे अमरबेल के नाम से भी जाना जाता है. यह एक जड़ी-बूटी है, जो अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है. गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. इसका सेवन कैसे करें: तीन चम्मच गिलोय के रस को दो चम्मच पानी में मिलाकर हर सुबह खाली पेट पिएं. इसे गिलोय अर्क, कैप्सूल या सिरप के रूप में भी आसानी से खरीद सकते हैं.
मुलेठी
मानसूनी बीमारी के बचाव करने वाली दूसरी जड़ी-बूटी मुलेठी है. यह जुकाम, खांसी और गले की खराश में राहत देती है. मुलेठी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. इसका सेवन कैसे करें: 10 ग्राम सूखी मुलेठी की जड़ को मिलाकर पाउडर बना लें, फिर 20 ग्राम चाय पत्ती में इस चूर्ण मिलाकर चाय बनाकर पिएं.
तुलसी
वहीं तीसरी औषधि है तुलसी. यह एक पवित्र जड़ी-बूटी है, जो बहुत से स्वास्थ्य लाभ देती है. तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, जो संक्रमण से लड़ने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं. इसका सेवन कैसे करें: 3-4 पत्ती तुलसी एक गिलास पानी में डालकर उबालें, चाय की तरह दिन में दो या तीन बार इसे पिएं. तुलसी पंचांग रस, तुलसी बीज पाउडर और तुलसी पत्तों का पाउडर भी बाजार में उपलब्ध हैं.
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अश्वगंधा
भारतीय जिनसेंग के नाम से भी अश्वगंधा को जानते हैं. यह तनाव को कम करता है और कई तरह के संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है. यह सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन कुछ विशिष्ट हालात में सावधान रहना चाहिए. वहीं स्तनपान कराने वाली महिलाओं, छोटे बच्चों और थायरॉइड या ऑटोइम्यून रोगियों को सलाह दी जानी चाहिए. सेवन कैसे करें: एक-चौथाई से आधा चम्मच अश्वगंधा के चूर्ण को दो कप पानी में उबालें, थोड़ी अदरक भी मिलाएं और शहद में मिलाकर पिएं.