आषाढ़ अमावस्या आज, यह है पूजन विधि और महत्व …
आज आषाढ़ माह की अमावस्या मनाई जा रही है.इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है. इस अमावस्या के मौके पर भक्त नदी में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण कर दान-धर्म का कार्य को संपन्न करते है. वहीं कुछ स्थानों पर इस दिन किसान हल और खेत से जुड़े सामानों की पूजा करते हैं. इस साल यह अमावस्या आज यानी 5 जुलाई शुक्रवार को मनाई जा रही है.
शुभ मुहूर्त
5 जुलाई को आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू हुई है और 6 जुलाई को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी. आषाढ़ अमावस्या आज यानी 5 जुलाई को मनाई जा रही है.
पूजन विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्य करके स्नान कर लें. इसके बाद आषाढ़ अमावस्या पर गंगा स्नान बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए हो सके तो गंगा स्नान करें. अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर नहा लें. इसके बाद सूर्य को भगवान अर्घ्य दें और भगवान शिव और माता पार्वती दोनों को पूजन करें. आषाढ़ अमावस्या के दिन योग्यतानुसार दान करना अनिवार्य है. आप अपने पिता की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर सकते हैं.
आषाढ़ अमावस्या में व्रत के नियम
इस दिन रखे जाने वाले व्रत में कुछ भी खाया या पीया नहीं जाता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें, साथ ही सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करें. इस दिन भगवान शिव को जल चढ़ाएं और गाय को चावल खिलाए और इसके बाद तुलसी को पीपल के पेड़ के नीचे रखें. इसके बाद दही, दूध, चंदन, काले अलसी, हल्दी और चावल भी अर्पित करें और 108 बार पेड़ के चारों ओर धागा बांधकर परिक्रमा करें. विवाहित महिलाएं इस दिन परिक्रमा करते समय बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां आदि धारण कर सकती हैं. इसके बाद अपने पितरों को अपने घर में खाना बनाकर भोजन दें और गरीबों को कपड़े, खाना और मिठाई दें.
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क्या है आषाढ़ अमावस्या का महत्व ?
आषाढ़ की अमावस्या का व्रत करने से व्यक्ति के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा और उसपर पड़ने वाली बुरी नजर से बचता है. इसके साथ ही इस व्रत को करने से बुरी शक्तियों का प्रकोप भी कम हो जाता है और साथ ही इसको करने से आपके पितरों की आत्मों को शांति मिलती है. यदि आपको इस दिन मुमकिन हो तो अपने पूर्वजों के लिए खाने-पीने का सामान निकालने का प्रयास करें. यह भी कहा जाता है कि, अमावस्या का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. अमावस्या का व्रत करने से कुंडली में काल सर्प दोष का बुरा असर कम होता है.