अयोध्या के कलाकार दुनिया के देशों में बजाएंगे श्रीराम के नाम का डंका

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मथुरा की होली और कृष्ण लीला जिस तरह से पूरी दुनिया में विख्यात है उसी तरह से राम की नगरी अयोध्या में रामलीला का मंचन करने वाले कलाकार अब पूरी दुनिया में अपनी कलाकारी को दिखा कर लोगों को मंत्रमुग्ध करेंगे। इसके लिए अयोध्या शोध संस्थान की तरफ से अयोध्या के कलाकारों का समूह दुनिया के अन्य देशों में रामलीला का मंजन करने के लिए जा रहे हैं इसके लिए केंद्र सरकार ने अनुमति भी दे दी है।

अन्य देशों में पहले से होती है रामलीला

शोध संस्थान के निदेशक डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दुनिया के अन्य देशों में रामलीलाएं होती हैं। वहां पर अयोध्या के कलाकार जाकर रामलीला का मंचन करेंगे। जो रामलीलाएं वहां हो रही हैं उन पर अयोध्या शोध संस्थान शोध करेगा। पहले चरण में ट्रिनीडाड, सूरीनाम, नीदरलैंड और गयाना देशों को चुना गया है। यहां पर अयोध्या के कलाकार 20 जून से 4 जुलाई तक यात्रा करके रामलीलाओं का मंचन करेंगे।

भारत में ही नहीं इन देशों में भी रामलीला देखी जाती है

निदेशक ने बताया कि भारत के अलावा अन्य देशों में भी भगवान राम का महत्व है। लोग टिकट लेकर रामलीलाएं देखने जाते हैं। उत्तर भारत की रामलीला और दूसरे देशों की रामीलाओं में फर्क है। वहां के कलाकारों को अयोध्या के कलाकार मंचन करके रामलीलाएं दिखाएंगे। संस्थान उस पर शोध भी करेगा ताकि राम और रामलीलाओं को और विस्तृत किया जा सके। भारत सरकार और प्रदेश सरकार इसके लिए पहल कर रही है।

कहां क्या है खास बात

फीजी आस्ट्रेलिया महादीप से भी आगे छोटे-छोटे द्वीपों का देश है। इसे 20,000 किलोमीटर दूर लघु भारत कहा जाता है। यहां 100 वर्ष पहले रामलीला का मंदिर बनाया गया था।

सूरीनाम

श्रीराम का अपभ्रंश डचभाषा में सूरीनाम माना जाता है। यहां के कलाकार रामलीला करते हैं। राम को लेकर यहां कई शोध किए जा चुके हैं। यहां परंपरागत तौर पर रामलीलाएं होती हैं।

ट्रिनीडाड

यह देश मूलतः अंग्रेजी भाषा देश है लेकिन यहां के लोगों को रामलीला बहुत रोमांचित करती है। यह देश बहुत छोटा है लेकिन आश्चर्य की बात है कि यहां रामलीला के लिए 52 मंडलियां हैं। यहां पर सरकार ने 2012 में रामलीला पर ऐक्ट बनाकर इसे कानूनी मंजूरी भी दी है।

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कैलीफोर्निया के माउंड मेडोना स्कूल में पिछले 40 वर्षों से रामलीला होती आ रही है। यहां हर साल जून में छात्र-छात्राएं रामलीला करते हैं। इसके लिए बकायता टिकट बिकती हैं। 250 छात्र-छात्राओं को रामलीला के लिए तीन महीने पहले से ट्रेनिंग दी जाती है।

श्रीलंका

सिंघली और तमिल क्षेत्रों में रामलालाओं की विस्तृत परंपरा है। कोलंबो सिंघली क्षेत्र में विश्वविद्यालयों में रामलीला होती है। तमिल ग्रामीण बहुल क्षेत्रों में बट्टीकलोवा के आस-पास मैदानी रामलीलाएं होती हैं। ये कुत्तू नाट्य विद्य के एक अंग हैं।

पाकिस्तान

कराची में रामलीला स्वतंत्रता के पहले से होती आ रही है। यहां के जिस मैदान में रामलीला होती थी उसे रामबाग कहा जाता है। हालांकि अब यह रामबाग आरामबाग हो गया है और इस पर आधुनिक बिल्डिंग्स बन गई हैं। माना जाता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ का दर्शन करने जा रहे भगवान राम माता सीता के साथ एक रात रामबाग में रुके थे।

इंडोनेशिया

86 फीसदी मुस्लिम आबादी के इस देश में रामायण एक संस्कृति है। यहां पर मुस्लिम कलाकार रामलीलाओं का मंचन करते हैं। यहां पर कई पर्यटन स्थलों पर मुस्लिम हनुमान, राम और रामायण के विभिन्न पात्रों का किरदार रखकर घूमते हैं। यहां कठपुतली रामलीला की भी बहुत विशेषता है।

मलेशिया

यह भी एक मुस्लिम आबादी वाला देश है इसके बावजूद यहां राम की बहुत मान्यता है। मुस्लिम लोग रामलीला करना और देखना दोनों ही बहुत पसंद करते हैं। रामलीला का मंचन करने वाले रामली इब्राहिम को भारत सरकार पद्मश्री भी दे चुकी है।

थाईलैंड

इस देश के कण-कण में राम माने जाते हैं। यहां खोन रामलीला के रूप में थाईलैंड के संस्कृति मंत्रालय अलग से रामलीला प्रशिक्षण केंद्र संचालित करता है। रामलीला के लिए मुखौटे और आभूषण भी ललित कला विभाग उपलब्ध कराता है।

रूस

रूस में 50 वर्षों से ज्यादा तक रामलीला में राम का किरदार निभाने वाले जेन्नाडी मिखाइलोविच पेचनीकोव की पिछले महीने मृत्यु हो गई। उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से विभूषित किया था। उन्होंने यहां रामलीला को जन-जन तक पहुंचाया।

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