सर्जिकल स्ट्राइक पर ‘जारी राजनीति’ से नाराज मिलिटरी
सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह के अवसर पर देशव्यापी तीन दिवसीय ‘पराक्रम पर्व’ आयोजित कराने का फैसला खुद डिफेंस सर्किल को ही रास नहीं आ रहा है। 2019 के आम चुनावों से पहले इस तरह का आयोजन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कई मिलिटरी अधिकारियों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर ‘जारी राजनीति’ पर नाखुशी जताई है।
भले ही उन्होंने मास्क क्यों न पहन रखा हो…
उन्होंने कहा है कि राजनीतिक लड़ाइयों के लिए गुप्त मिलिटरी ऑपरेशनों का बेजा प्रचार नहीं किया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक्स के विडियो क्लिप्स लीक हुए। इस टीम के कुछ सदस्य टेलिविजिन चैनल पर दिखाए गए। भले ही उन्होंने मास्क क्यों न पहन रखा हो। अधिकारी ने कहा कि गुप्त ऑपरेशनों का गुप्त ही रहने देना चाहिए।
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एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि पिछले साल कोई पराक्रम पर्व नहीं मनाया गया था। रक्षा मंत्रालय ने इस साल अचानक 51 शहरों में बड़े पैमाने पर सर्जिकल स्ट्राइक की सालगिरह मनाने का निर्देश दे दिया। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा है सर्जिकल स्ट्राइक का रणनीतिक असर रहा। हिंसा का मार्ग अपना रहे विरोधी को रोकने और शांति का वातावरण बनाए रखने के लिए इसका इस्तेमाल हुआ।
कांग्रेस में भी वाद-विवाद देखने को मिल चुका है
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षाबलों ने हमेशा देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। यही वजह है कि हम हर साल विजय दिवस, करगिल विजय दिवस समेत कई युद्ध के गौरवशाली दिवस को मनाते हैं। इससे पहले सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में भी वाद-विवाद देखने को मिल चुका है।
अधिकारियों का कहना है कि 28 और 29 सितंबर 2016 को एलओसी पार कर 4 टेरर लॉन्च पैड पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक का महत्व वास्तव में काफी बड़ा है। लेकिन यूपीए के दौरान भी ऐसी स्ट्राइक्स की गईं थीं। उनके मुताबिक अब एनडीए सरकार इन सर्जिकल स्ट्राइक पर अपना दावा कर रही है।
अधिकारियों ने सवाल उठाया, ‘फिर इसका प्रचार क्यों? हो सकता है कि सर्जिकल स्ट्राइक टैक्टिकली सफल हो लेकिन रणनीतिक रूप से क्या हासिल हुआ? क्या सीमा-पार आतंकवाद खत्म हुआ?’साभार
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