अनंत चतुर्दशी आज, जानें बप्पा की विदाई का शुभ समय …

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बीते 10 दिनों से देशभर में गणेश उत्सव का त्यौहार मनाया जा रहा है, 10 दिनों से बप्पा के आगमन पर घरों और पंडालों में विधि – विधान से पूजा और नाच गाना किया जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि, बप्पा की विदाई कर दी जाए और वो वापस अपनी दुनिया में लौट जाएं. इसको लेकर मान्यता है कि, इन दस दिनों में बप्पा हमारे सारे दुख ले जाते है और लोग कामना करते है कि, अगले साल बप्पा उनके घरों में फिर से खुशियां और उत्साह लेकर आए है. आपको बता दें कि, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन किया जा रहा है, स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं.

अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई का शुभ समय

सूर्योदय के बाद गणेश विसर्जन किया जा सकता है, इसलिए 17 सितंबर को सुबह 06:07 बजे सूर्योदय होगा. इसलिए आप सुबह 06:07 बजे गणेश विसर्जन कर सकते हैं. वही अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:07 बजे से रात 11:44 बजे तक रहने वाला है.

अनंत चतुर्दशी का क्या है महत्व

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है, जो मोक्ष दायनी होती है. इसके लिए अनंत चतुर्दशी व्रत रखना चाहिए. व्रत के पारायण के समय, बंधन का प्रतीक सूत्र हाथ में बांधा जाता है. इसके व्रत में नमक का सेवन वर्जित रहता है, पारायण में मीठी चीजें खाते हैं, जैसे सेवई या खीर. इस दिन गजेन्द्र मोक्ष पाठ करने से जीवन की हर बुराई से छुटकारा मिलता है.

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कैसे करें गणपति विसर्जन?

विसर्जन के दिन सुबह में उपवास करना चाहिए और केवल फलाहार ही करना चाहिए, इसके बाद घर पर स्थापित बप्पा की प्रतिमा की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए, पूजन में बप्पा को नारियल, शमी पत्र और दूब अर्पित करना चाहिए और उसके बाद में प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाना चाहिए. वही अगर प्रतिमा छोटी है तो गोद में और बड़ी है तो सर पर रख कर लें जाएं. प्रतिमा को ले जाते समय, उसे भगवान गणेश को समर्पित एक अक्षत घर में बिखेर दें और अपने पास में घड़ी, पर्स या चमड़े की बेल्ट न रखें. मूर्ती का वहन और विसर्जन नंगे पैर ही करें. प्लास्टिक की मूर्ती या चित्र को स्थापित या विसर्जन नहीं करें. मिटटी की प्रतिमा सबसे अच्छी है, विसर्जन के बाद श्री गणेश को हाथ जोड़कर मंगल की कामना करें…

 

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