…इस बार फिर अंबेडकर नहीं बन पायेंगे ‘राज्यसभा सांसद’
बसपा, सपा और भाजपा के बनते बिगड़ते समीकरण यूपी की राजनीति में उथल पुथल मचा सकते है। इन बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच बसपा सुप्रिमो मायावती के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। दरअसल मायावती यूपी के सियासी मैदान पर अंबेडकर पर दांव लगाने की फिराक में थीं, लेकिन नरेश अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने से सियासत में पासे बदलते नजर आ रहे है।
तो दूसरी तरफ नरेश के बेटे नितिन अग्रवाल भी भाजपा का साथ पाने को बेताब है और इसकी पूरी तैयारी भी है। ऐसे में इन दोनो बाप बेटे ने सपा और बसपा दोनो के होश उड़ा दिए हैँ। ऐसे में मायावती का पूरा सियासी गणित बिगड़ता नजर आ रहा है। दरअसल राज्यसभा सांसद के लिए औसतन 37 वोटों की आवश्यकता होती है।
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ऐसे में मायावती ने ये कयास लगाई हुई थी कि सपा, कांग्रेस और आरएलडी की मदद से अंबेडकर को राज्यसभा भेज सकेगी। जबकि अब भाजपा के खेल से मायावती के सारे दांव बिखरते नजर आ रहे है। भाजपा का ये खेल मायावती के सपनों पर पानी फेरता नजर आ रहा है।
सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है
अगर वोटों के खेल पर नजर डालें तो सपा के पास 47 वोट है जिसमें कि यूपी से एक राज्यसभा सांसद के लिए औसतन 37 वोटों की जरूरत होती है, ऐसे में बसपा ने उम्मीद लगा रखी थी कि वो सपा, कांग्रेस और RLD की मदद से अपना एक सांसद राज्यसभा भेज सकेगी। लेकिन अब भाजपा की तरफ से खेले गये इस मास्टर प्लान से मायावती के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
इन सब से यही लग रहा है कि एक बार फिर अंबेडकर का राज्यसभा तक जाने के रास्ते में कई रोड़े है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अंबेडकर सिर्फ एक वोट की वजह से राज्यसभा जाने से वंचित रह सकते है। ऐसा पहली बार नहीं होगा जब कोई एक वोट की वजह से राज्यसभा जाने से वंचित रह गया है। इससे पहले पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी एक वोट की वजह से गिर गई थी।
फिर अंबेडकर नहीं बन पायेंगे राज्यसभा सदस्य
ऐसे में मायावती ने अटल की सरकार के खिलाफ अखिरी समय में वोट कर दिया था। इसके बाद विरोधी खेमें में भाजपा का खूब मजाक उड़ाया गया था लेकिन वो दिन और आज का दिन है, आज खुद विरोधियों की बोलती बंद है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे है कि अगर ऐसा ही रहा तो फिर अंबेडकर नहीं बन पायेंगे राज्यसभा सदस्य।
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