29 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, जानें कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी ?

जम्मू कश्मीर से पहला जत्था हुआ रवाना ....

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जम्मू कश्मीर में स्थित बाबा अमरनाथ की यात्रा कल यानी 29 जून शनिवार से शुरू होने जा रही है, 62 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के लिए बीते माह से पंजीकरण करवाए जा रहे हैं. वही 26 जून से तत्काल पंजीकरण को भी शुरू कर दिया गया है. आपको बता दें कि, आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होने वाली बाबा अमरनाथ की यात्रा श्रावण पूर्णिमा तक जारी रहती है. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन पूजन के लिए पहुंचते और इस पवित्र गुफा में बाबा के चमत्कार का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. शिव भक्तों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस के साथ पासपोर्ट साइज फोटो की जरूरत होती है.

अमरनाथ धाम क्यों है खास ?

भगवान शिव के महत्वपूर्ण स्थलों में एक है अमरनाथ धाम.इस धाम में भगवान शिव के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन मिलते हैं. अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शिव बर्फ के शिवलिंग के रूप में कब से विराजते हैं और लोग उनके दर्शन करने के लिए वहां कब से आते हैं, इसकी कोई लिखित जानकारी नहीं है. लेकिन इस गुफा को लेकर बताया जाता है कि यह गुफा किसी कारण से एक समय पर लुप्त हो गयी थी, जिसके बाद करीब डेढ़ सौ साल पहले इस गुफा को दुबारा खोज निकाला गया. तब से लगातार यहां पर पूजा अर्चना की जाती है.

कहते है कि, अमरनाथ यात्रा का हर पड़ाव अपनी एक अलग कहानी कहता है. ऐसे में हर साल प्राकृतिक तौर पर बनने वाली बर्फ के इस शिवलिंग के दर्शन के लिए देश और विदेश से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में यहां पहुंचने वाले भक्तजनों की सुविधा के लिए श्राइन बोर्ड की तरफ से काफी तैयारियां की जाती है. इसमें भक्तों का ख्याल रखने के लिए सेवादार नियुक्त किए जाते हैं जो यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर यात्रियों को लंगर बांटते रहते हैं. साथ ही रास्ते की बर्फ हाटाने से लेकर भक्तों के लिए हर पड़ाव पर हर तरह की जरूरत के लिए उन्हे तैनात किया जाता है. फिर भी यह यात्रा किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होती है.

पवित्र गुफा में कैसे प्रकट होते है बाबा बर्फानी ?

बताया जाता है कि, अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग की तरह आकृति अचानक से प्रकट होती है, जो लगातार 15 दिनों तक थोड़ी-थोड़ी बढ़ती रहती है. 15 दिन में बर्फ की इस मूर्ति की ऊंचाई दो गज से अधिक हो जाएगी. इसके साथ ही चंद्रमा की घटने के साथ शिवलिंग का आकार भी कम हो जाता है और चंद्रमा लुप्त होते ही शिवलिंग अंतर्ध्यान हो जाती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि, एक मुसलमान गड़रिये ने 15वीं शताब्दी में इस गुफा की खोज की थी. उस गड़रिए को बूटा मलिक कहा जाता था. पवित्र अमरनाथ की गुफा तक पहुंचने के दो तरीके हैं. एक रास्ता पहलगाम की ओर है, जबकि दूसरा रास्ता सोनमर्ग होते हुए बालटाल की ओर है.

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बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहला जत्था रवाना

इसके साथ ही आपको बता दें कि, अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर के भगवती नगर से शिवभक्तों का पहला जत्था आज सुबह चार बजे रवाना हो गया है. यात्रा के पहले जत्थे को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है.सभी श्रद्धालु कश्मीर में त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच कश्मीर में आधार शिविर पहलगाम और बालटाल के लिए रवाना हुए. इस बीच, मौसम विभाग ने 28 जून से 10 जुलाई तक वर्षा की उम्मीद भी जताई है. ऐसे में संभावना है कि, पहले सप्ताह वर्षा के बीच यात्रा जारी रहेगी. आपको बता दें कि, अमरनाथ यात्रा के पहले जत्थे में लगभग 2000 श्रद्धालु शामिल है.ऐसे में पहलगाम में अधिकारियों के साथ एक बैठक में उपराज्यपाल ने यात्रा प्रबंधों का परीक्षण किया और आवश्यक निर्देश भी दिए हैं.

 

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