औरतों के बगैर इस दुनिया का एक अंदाजा
अंतरराष्ट्रीय महिलाwomen दिवस के अगले दिन 9 मार्च को मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी में स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों, बाजारों, मॉल सिनेमाघरों, सार्वजनिक परिवहन बसों और मेट्रो से महिलाएंwomen गायब थीं। उस दिन यह शहर लकवाग्रस्त हो गया था, इसका आधा हिस्सा यानी आधी आबादी काम नहीं कर रही थी। यहां तक कि राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर की डेली प्रेस ब्रीफिंग में भी कुर्सियां खाली थीं। महिलाwomen पत्रकारों ने इसका बहिष्कार किया था। महिलाएं उस दिन अपने ऊपर हो रही हिंसा के खिलाफ हड़ताल पर थीं।
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महिलाओंwomen ने अपराधियों के खिलाफ सरकार से कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा, ‘देख लीजिए, हमारे बिना दुनिया कैसी हो जाएगी, इसका अंदाजा लगा लीजिए।’ मैक्सिको में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वहां जनवरी 2019 से सितंबर 2019 तक 2,853 महिलाओं की हत्या हुई। हिंसा के खिलाफ इस एक दिनी हड़ताल का खामियाजा मुल्क की अर्थव्यवस्था ने भी भुगती। बिजनेस ग्रुप कॉन्सानको सार्वितुर के अनुसार हड़ताल से देश को महज एक दिन में करीब 9721 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।
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तुर्की में भी महिलाओंwomen के खिलाफ होने वाली घरेलू व यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। हत्या के आंकड़े दर्ज करने वाली एक संस्था के अनुसार 2018 में वहां 440 महिलाओं की हत्या की वजह घरेलू हिंसा ही थी। वहां की सरकार भले ही ऐसी हत्याओं को लेकर परेशान नहीं दिखती, लेकिन तुर्की के एक कलाकार ने कुछ माह पूर्व मुल्क की राजधानी इस्तांबुल में 440 हाई हिल्स की सार्वजनिक स्थल पर एक प्रदर्शनी लगाई। वेहित टुना नामक इस कलाकार ने हिल्स को विरोध प्रदर्शन के प्रतीक के रूप में इसलिए चुना क्योंकि तुर्की में परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर कुछ दिनों के लिए उसके जूते घर के बाहर रखने की परंपरा है। इसी स्थानीय परंपरा को टुना ने महिलाओं के खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा को एक व्यापक फलक प्रदान कर जनता, मर्दों व महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच रखने वाले समाज और राजनेताओं को संवेदनशील बनाने की पहल की है।
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इधर इटली के मशहूर शहर मिलान के एक बड़े अस्पताल में एक महिलाwomen ट्रामा सर्जन मारिया ग्रेजिया ने महिलाओं की अस्त-व्यस्त हड्डियां दिखाने वाले ब्लैक एंड वाइट एक्स-रे की प्रदर्शनी लगाकर जनता को महिलाओं पर होने वाली हिंसा के प्रति जागरूक करने की कोशिश की। डॉ.मारिया कहती हैं कि मानव की हड्डियां एक जैसी होती हैं, लेकिन इन एक्स-रे फिल्म्स में हड्डियों की हालत साफ बोलती है कि ये महिलाओं की ही हैं। उनके साथ होने वाली हिंसा इनकी इस हालत की प्रमुख वजह है। इटली में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा एक अहम मुद्दा है, जिसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसी जनवरी में मिलान में एक कलाकार ने ‘क्योंकि मैं एक औरत हूं’ शीर्षक से एक पोस्टर प्रदर्शनी लगाई थी। सात चेहरों वाली इस प्रदर्शनी में विश्व की प्रसिद्व महिला शख्सियतों, जिसमें वर्मा की राजनीतिज्ञ, स्टेट काउंसलर, नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली आंग सान सू ची, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कल, भारत में कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी, फ्रांस की प्रथम महिला ब्ररीगिटी मेक्रॉन, अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला मिशेल ओबामा और अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला व पूर्व सेक्रटरी ऑफ स्टेट्स हिलेरी क्लिंटन आदि के पोस्टर लगाए गए। पोस्टर में इनके चेहरों पर चोट के निशान दिखाए गए हैं।
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[bs-quote quote=”(ये लेखक के अपने विचार है, यह लेख NBT में प्रकाशित है।)” style=”style-13″ align=”left” author_name=” अलका आर्य” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/03/alka-arya.jpg”][/bs-quote]
भारत में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के आंकड़े बताते हैं कि 15 से 49 आयुवर्ग की विवाहित महिलाओंwomen में से 31 प्रतिशत ने पति की शारीरिक, मानसिक व यौनिक हिंसा का सामना किया है। दरअसल महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा एक वैश्विक मुद्दा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दुनिया भर में 2017 में करीब 87,000 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी। इनमें से आधी महिलाओं को उनके पति, साथी या परिवारजनों ने मारा था। मैक्सिको की महिला हड़ताल, तुर्की की हिल्स प्रदर्शनी, इटली की एक्स-रे प्रदर्शनी बताती हैं कि सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल्स का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य- साल 2030 तक महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा पर रोक- हासिल करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
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