अखिलेश की बढ़ी टेंशन, उपचुनाव में सपा कभी नहीं जीती करहल विधानभा सीट…

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देश में संपन्न हुए 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश में सपा को एक नई सियासी उम्मीद दिखा दी है. प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में समाजवादी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर 37 सीटें जीतने में कामयाब रही है. जबकि प्रदेश में गठबंधन को कुल 43 सीटों में जीत मिली है. ऐसे में अखिलेश यादव ने कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद अपना सियासी मैदान लखनऊ की जगह दिल्ली चुन लिया है. इसके बाद उनकी विधानसभा सीट करहल खाली हो गई है. अब लगतार सवाल यह उठ रहा है कि करहल सीट से इस बार सपा का सिपाही कौन होगा. हालांकि सपा करहल विस उपचुनावों में सपा अबतक जीत हासिल नही कर पाई है.

पहली बार लड़ा 2022 में विधानसभा का चुनाव…

बता दें कि, अखिलेश ने पहली बार 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था. जहां उन्होंने मैनपुरी की करहल का चयन किया और शानदार तरीके से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन किया. लेकिन अब उनके सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई है और अब करहल विधानसभा उपचुनाव में सपा के उम्मीदवारों की दावेदारी भी तेज हो गई है. जातिगत गणित से हर बार करहल की सियासत सपा के अनुकूल रही है.

यादव बाहुल्य है करहल विधानसभा की सीट…

गौरतलब है कि मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट यादव बाहुल्य है. यहां पर सवा लाख से अधिक यादव मतदाता है और हमेशा जातिगय समीकरण के अनुसार ही उम्मीदवार मैदान में उतरा जाता है. हमेशा यहां सपा जातिगत समीकरण के अनुसार जीतती रही है.. ऐसे में एक बात साफतौर पर तय है कि अखिलेश यादव अपनी जगह किसी न किसी यादव समुदाय के नेता को ही करहल सीट से प्रत्याशी बनाने का दांव चलेंगे.

तेज प्रताप को बनाया जा सकता है उम्मीदवार….

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार करहल उपचाउनाव में समाजवादी पार्टी इस बार तेज प्रताप यादव को मौका दे सकती है. इससे पहले अखिलेश ने कन्नौज से चुनाव लड़ने से पहले तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उनकी बढ़ती मांग के बीच खुद चुनावी मैदान में उतर आए और जीत हासिल की. बता दें कि तेज प्रताप उनके चचेरे भतीजे हैं और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दमाद हैं. कहा जा रहा है कि ऐसे में मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को करहल से प्रत्याशी बनाने का दांव सपा चल सकती है.

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इसके अलावा अखिलेश के लिए सीट छोड़ने वाले सोबरन भी उपचुनाव में मैदान में उतर सकते हैं. 2022 के चुनाव में सोबरन यादव ने अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के लिए करहल सीट सीट छोड़ दी थी. 2002 से लेकर 2022 तक सोबरन यादव करहल विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. 2002 में सोबरन बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे और सपा को हराया था, लेकिन बाद में सपा का दामन थाम लिया.

1956 में अस्तित्व में आई थी करहल विधानसभा सीट

गौरतलब है कि 1956 में करहल विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी.1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पहलवान नत्थू सिंह यादव पहले विधायक बने थे. उसके बाद 1962, 1967 और 1969 में स्वतंत्र पाटी, 1974 में भारतीय क्रांति दल और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर नत्थू सिंह, 1980 में कांग्रेस के शिवमंगल सिंह ने जीत हासिल की थी. सियासी समीकरण के चलते 1985 से 1996 तक बाबूराम यादव ने इस सीट से चुनाव जीता था.

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