कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने 51 साल बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया. अपने इस्तीफे को लेकर उन्होंने शुक्रवार को सोनिया गांधी को 5 पन्नों का पत्र भी भेजा था. इस पत्र में गुलाम नबी ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व पर बड़े सवाल खड़े किये थे. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मनीष तिवारी पार्टी के नेताओं द्वारा उनके इस्तीफे के बाद गुलाम नबी आजाद की आलोचना पर सवाल का जवाब दे रहे थे.
मनीष तिवारी ने कहा
‘मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं. अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है. तब देखा जाएगा.’
मनीष तिवारी ने कहा
‘2 साल पहले हम में से 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था और कहा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई. अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग सोचना शुरू कर दिया है.’
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में मनीष ने कहा
‘ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद कांग्रेस पार्टी और भारत के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती.’
उन्होंने आगे कहा
‘श्री आजाद के पत्र के गुण-दोष में नहीं जाना चाहते, वह समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे… कांग्रेस नेताओं के चपरासी जब पार्टी के बारे में ‘ज्ञान’ देते हैं तो यह हंसी का पात्र होता है.’
Senior Congress leader Manish Tewari was responding to a question on the criticism of Ghulam Nabi Azad, following his resignation, by leaders of the party. https://t.co/ZZRe3xVjJo
— ANI (@ANI) August 27, 2022
साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.
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