दंगों के बाद अल्पसंख्यकों को छोड़ रही बिहार पुलिस

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भागलपुर में सांप्रदायिक हिंसा की घटना के बाद बिहार के पांच अन्य जिलो में इसकी आंच पहुंची। जिसके कारण नीतीश कुमार सरकार को विपक्षी नेताओं के हमलों का लगातार सामना करना पड़ा। शुक्रवार को नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को गठबंधन सहयोगी बीजेपी के हमलों का भी सामना करना पड़ा। मगर बीजेपी की आलोचना ने जदयू को काफी सुकून दिया।

संदिग्ध लोगों को छोड़ने की घटना की जांच करने की मांग

दरअसल बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीजेपी नेताओं की ओर से प्रभावित किए जाने के आरोप लगते रहे। कहा जाता रहा कि सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को बीजेपी नेताओं के हवा देने के बावजूद गठबंधन के कारण नीतीश कुमार नजरअंदाज कर रहे हैं।दरअसल भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के पुलिस महानिदेशक केएस दि्वेदी से मिला और उनसे सांप्रदायिक हिंसा में शामिल संदिग्ध लोगों को छोड़ने की घटना की जांच करने की मांग की।

संदिग्धों को छोड़कर बहुसंख्यकों पर ही कार्रवाई हो रही है

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनावश कार्रवाई कर रही है। अल्पसंख्यक संदिग्धों को छोड़कर बहुसंख्यकों पर ही कार्रवाई हो रही है। बीजेपी के खेमे से आई इस शिकायत को जदयू अपने लिए मुफीद पा रही है।पार्टी को लगता है कि इससे जनता में संदेश जाएगा कि नीतीश सरकार बीजेपी के प्रभाव में आए बगैर निष्पक्षता से सांप्रदायिक घटनाओं के आरोपियों पर कार्रवाई कर रही है।

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बता दें कि समस्तीपुर के बीजेपी जिलाध्यक्ष रामसुमिरन सिंह ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने जिन 54 लोगों को गिरफ्तार किया था, उसमें करीब 10 बीजेपी कार्यकर्ता थे। बता दें कि रामनवमी के मौके पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने भागलपुर में जुलूस निकाला था। जिसके बाद इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।

आरोपियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था

बाद में इसकी आंच अन्य पड़ोसी जिलों में भी पहुंच गई थी।पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर काफी मशक्कत के बाद केंद्रीय मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया था। इस दौरान विपक्ष नीतीश कुमार पर बीजेपी के दबाव में सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को डर लगने लगा कि कहीं विपक्ष जनता के दिमाग में अल्पसंख्यक विरोधी सरकार होने की बात न बैठा दे। ऐसे में बीजेपी की ओर से पुलिस पर अल्पसंख्यकों का पक्ष लेकर काम करने का आरोप लगाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश और उनकी जदयू पार्टी राहत महसूस कर रही है।

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