‘तो नोटबंदी के बाद यहां खपाया गया काला धन’

0

नोटबंदी के बाद देश में अघोषित धन की तलाश में की गई कार्रवाई से खुलासा हुआ है कि काले धन को बड़े पैमाने पर स्वर्ण आभूषणों और नकली कंपनियों में लगाकर छिपाया गया। आयकर अधिकारियों का कहना है कि काला धन रखनेवालों ने अपनी रकम बैंकों में जमा नहीं की, क्योंकि वे अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कई आभूषण कारोबारियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी की और अपने अधोषित धन को सोने में बदल दिया।

आयकर विभाग के अधिकारी की जुबानी

आयकर विभाग की जांच का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “8 नवंबर को नोटबंदी के बाद उन्होंने आभूषण व्यापारियों से बड़ी मात्रा में स्वर्ण आभूषण खरीदे। व्यापारियों ने बिक्री की रकम को अलग-अलग कर असली खरीदारों की पहचान छुपाई।”

उन्होंने कहा कि नोटंबदी आभूषण व्यापारियों के लिए अच्छा अवसर लेकर आई। चूंकि दो लाख रुपये के आभूषण खरीद पर पैन कार्ड अनिवार्य नहीं है, इसलिए व्यापारियों ने काले धन से खरीदे गए आभूषणों को दो-दो लाख से कम रुपये के कई बिल में बांट दिए। उन्होंने खरीदारों की जो सूची विभाग को दी थी, वह फर्जी निकली।

सेनको गोल्ड लिमिटेड

सेनको गोल्ड लि. जो आयकर विभाग की निगरानी में है, उसके अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक शंकर सेन ने बताया, “हम ग्राहकों द्वारा दिए गए नाम और पते के आधार पर सभी ग्राहकों का हिसाब रखते हैं। हम अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं और सभी जरूरी दस्तावेज मुहैया करा रहे हैं, जिसमें हमारे पास के सीसीटीवी फुटेज भी शामिल हैं।”

Also read : लड़की का हाथ पकड़कर बोला-‘I LOVE U’, मिली ये सजा

उन्होंने कहा, “आभूषण व्यापारियों के लिए हरेक ग्राहक की पहचान की पुष्टि करना मुश्किल है। अगर ग्राहक ने सही दस्तावेज नहीं दिया तो हम उसकी पहचान नहीं कर सकते, खासतौर से दो लाख रुपये से कम की बिक्री में ग्राहक को पैन कार्ड नंबर भी नहीं देना होता है।”

जांच जारी

अब आयकर अधिकारी ऐसे मामलों की जांच-पड़ताल में जुटे हैं, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक सीबीडीटी ने 9 नवंबर, 2016 से 28 फरवरी, 2017 के बीच 9,334 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियों का खुलासा किया है। ऑपरेशन क्लीन मनी (ओसीएम) के तहत करीब 60,000 लोग, जिसमें 1,300 उच्च जोखिम वाले लोग शामिल हैं, की जांच की जा रही है।

अधिकारियों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में नकदी नकली कंपनियों (शेल कंपनियों) में लगाया गया। इन कंपनियों के डमी निदेशक के रूप में अधिकारियों को एक कैंसर का मरीज भी मिला, जिसे इसके एवज में 10,000 रुपये मासिक या प्रत्येक हस्ताक्षर पर 200 रुपये का भुगतान किया जाता था।

शेल कंपनियों द्वारा बड़ी मात्रा में शेयर भी खरीदने की जानकारी मिली। अधिकारी ने बताया, “हमें ऐसी कंपनियों द्वारा भारी मात्रा में शेयर खरीदने के दस्तावेज मिले हैं, जिसके असल लाभार्थी को वास्तव में ये शेयर मिले हैं।”

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More