आखिर क्यों बंद हुआ ABP Ganga, TRP डाउन या सैलरी का खेल, पहले भी बंद हुए थे 24 चैनल
देश में मीडिया संस्थानों का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। यहां कई मीडिया चैनल आए और गए। सभी न्यूज चैनल के बंद होने की कोई ना कोई वजह रही है। लेकिन हाल ही में बंद हुआ रीजनल चैनल एबीपी गंगा ने सभी को चौंका दिया। ये वही एबीपी गंगा है, जो साल 2020 में नंबर-1 की टीआरपी में रहा था। ऐसे में एबीपी गंगा का बंद हो जाना मीडिया संस्थानों के लिए बड़ी बात मानी जा रही है। हालांकि इस साल 24 न्यूज चैनल बंद हो चुके हैं। इनमें से पांच न्यूज चैनल ने सरेंडर कर दिया था, जिनमें जी हिंदुस्तान और इंडिया न्यूज का रीजनल चैनल शामिल है।
बंद हुआ ABP गंगा
साल 2019 में उत्तर प्रदेश की हर छोटी-बड़ी खबरों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए ABP ग्रुप ने ABP गंगा को उतारा था। यहां ABP गंगा रीजनल चैनल के तौर पर काम कर रहा था। महज एक ही साल बाद ABP गंगा न्यूज चैनल उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय चैनल बन गया था। साल 2020 में ABP गंगा नंबर-1 की रैंकिंग पर भी पहुंचा था। बावजूद इसके 17 जून को अचानक एबीपी ग्रुप ने एबीपी गंगा का प्रसारण बंद करने का ऐलान कर दिया। साथ में यह भी घोषणा की है कि अब एबीपी गंगा को एबीपी में समाहित किया जाएगा। यानी अब एबीपी गंगा का डिजिटल प्रसारण किया जाएगा। एबीपी ग्रुप ने एबीपी गंगा के साथ-साथ एबीपी साँझा चैनल को भी बंद कर दिया है। अब ये दोनों चैनल केवल डिजिटल नेटवर्क पर ही दिखाई देंगे।
TRP व विज्ञापन में हुई गिरावट
एबीपी ग्रुप ने दोनों रीजनल चैनल को बंद करने की वजह टीआरपी का डाउन होना बताया है। दरअसल, ABP चैनल को मिलने वाले विज्ञापन में 40 फीसदी की गिरावट हुई है। इस बात का खुलासा खुद एबीपी ग्रुप ने किया है। इस मामले में एबीपी ग्रुप का कहना है कि विज्ञापन बाजार में 40% गिरावट के चलते एबीपी ग्रुप ने एबीपी गंगा और एबीपी साँझा चैनल को बंद करने की औपचारिक घोषणा कर दी है। अब ये चैनल केवल डिजिटल नेटवर्क पर दिखाई देंगे।
एबीपी स्टाफ को सता रहा सैलरी का संकट
रीजनल चैनल एबीपी गंगा के बंद होने से ना सिर्फ एबीपी गंगा के कर्मचारी और पत्रकार दुखी हैं, बल्कि नोएडा स्थित एबीपी कार्यालय में निराशा छा गई है। जाहिर है कि अब एबीपी गंगा का डिजिटल प्रसारण नोएडा कार्यालय से ही होगा। वहीं पहले ही एबीपी ग्रुप ने विज्ञापन में गिरावट की बात कह रखी है। सूत्रों के अनुसार,एबीपी गंगा और एबीपी साँझा के कुछ स्टाफ को अब एबीपी न्यूज़ हिन्दी चैनल में शामिल किया जाएगा। ऐसे में अब चैनल के स्टाफ को अपनी सैलरी की चिंता सताने लगी है। इसके अलावा एबीपी न्यूज ने एबीपी गंगा के स्टाफ के 15 लोगों को पिंक लेटर थमा दिया है। यानी स्टाफ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया है। इसी के चलते कई नामी पत्रकारों ने एबीपी का साथ छोड़ भी दिया है। इनमें वरिष्ठ एंकर रुबिका लियाकत का नाम जगजाहिर है। गौरतलब है कि रुबिका लियाकत पिछले सप्ताह ही चैनल से त्यागपत्र दे कर ने उभरते हुए चैनल “भारत -24” का दामन थाम चुकी हैं।
एबीपी गंगा ने छीन ली थी एबीपी की टीआरपी
यहां कुछ बड़े पत्रकारों का ये मानना है कि एबीपी गंगा की टीआरपी एबीपी चैनल से ज्यादा बढ़ रही थी। ऐसे में एबीपी गंगा नेशनल चैनल एबीपी की टीआरपी पर प्रभाव डाल रहा था। जिस कारण से ग्रुप ने रीजनल चैनल को बंद कर उसे एबीपी में ही समायोजित करने का फैसला किया है। दरअसल, न्यूज़ चैनल्स में टीआरपी प्रतियोगिता के कारण कई न्यूज़ चैनल्स को असमय ही बंदी की मार झेलनी पड़ती है। जिससे पत्रकारों के सामने बेरोजगारी का संकट पैदा हो जाता है।
एबीपी गंगा का स्टाफ
बताया जा रहा है कि abp गंगा के मैनिजिंग एडिटर रोहित साँवल को abp न्यूज चैनल में output हेड की जिम्मेदारी सौंपी गई है । इस प्रकार अब abp न्यूज चैनल में managing editor स्तर पर दो अधिकारी हो जाएंगे अर्थात संत कुमार और रोहित साँवल । अब दोनों TRP में abp के गिरते ग्राफ को संभालेंगे। इस कड़ी में ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) के आउटपुट हेड अरुण नौटियाल और पीसीआर हेड सतेंद्र राय का नाम भी शामिल है। दोनों इस संस्थान से काफी लंबे समय से जुड़े हुए थे। अरुण नौटियाल की जगह ‘एबीपी गंगा’ (ABP Ganga) के एडिटर रोहित सावल को ‘एबीपी न्यूज’ का आउटपुट हेड बनाया गया है।
पहले भी बंद हुए हैं कई चैनल
इसी साल कुछ महीने पहले ऐसे ही कुछ कारणों की वजह से जी हिंदुस्तान चैनल को भी बंद कर दिया गया था। जिससे कई पत्रकारों पर नौकरी का संकट खड़ा हो गया था। यही हाल इंडिया न्यूज के रीजनल चैनल का भी हुआ था। करीब 6 महीने पहले इंडिया न्यूज ने अपने उत्तराखंड को कवर रहे रीजनल चैनल को बंद कर दिया था। उस समय इंडिया न्यूज का स्टाफ सड़क पर आ गया था। सभी की नौकरी छूट गई थी। अब यही हाल एबीपी गंगा चैनल के साथ हुआ है।
पांच चैनल ने किया था सरेंडर
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने साल 2022 में केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों के तहत, नीतिगत दिशानिर्देशों के उल्लंघन और कार्यक्रम, विज्ञापन संहिता अधिनियम का पालन नहीं करने को लेकर पांच टेलीविजन चैनलों के लाइसेंस केवल ‘अस्थायी’ रूप से वापस लिए गए, और छह चैनलों के लाइसेंस वापस लिए गए हैं। न्यूज़ और करेंट अफेयर्स के कुल पांच चैनलों ने अपना लाइसेंस सरेंडर किया है। जिसमें आज तक बांग्ला, जानो दुनिया, सी10 न्यूज़, अपडेट टीवी व अपडेट न्यूज़ शामिल हैं। इनमें ‘सी10 न्यूज़’, ‘अपडेट टीवी’, ‘अपडेट न्यूज़’ ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए थे।
6 चैनलों का लाइसेंस किया था रद्द
वहीं ‘जानो दुनिया’ चैनल के लाइसेंस को नॉन-ऑपरेशनल और वार्षिक अनुमति शुल्क का भुगतान न करने के कारण रद्द कर दिया गया। ऐसे ही ईटीवी बाल भारत ने अपने छह चैनलों – गुजराती, मराठी, पंजाबी, असमिया, बांग्ला उड़िया चैनल के लाइसेंस सरेंडर कर दिए। इसके अलावा ‘1 प्लस टीवी’ चैनल को नीतिगत दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने, और गैर परिचालन को लेकर चैनल का लाइसेंस रद्द कर दिया। वहीं एक अन्य आंकड़े में मंत्रालय ने बताया कि देश में कुल 385 टीवी न्यूज़ चैनल की स्वीकृति दी गई है।
एबीपी नेटवर्क प्रवक्ता का बयान
इस बारे में नेटवर्क के एक प्रवक्ता का कहना है, ‘एबीपी गंगा और एबीपी साझा डिजिटल आधारित प्लेटफॉर्म के लिए कंटेंट के विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करते हुए व्युअर्स को एक सहज और आकर्षक मनोरंजन अनुभव प्रदान करने के लिए हमारे समर्पण को रेखांकित करते हैं। हम विश्वास दिलाते हैं कि एबीपी नेटवर्क उच्च गुणवत्ता वाले कंटेंट को प्रदान करना जारी रखेगा और पत्रकारिता की अखंडता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगा, क्योंकि हम इस नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं।
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