Acharya Vidyasagar Maharaj: ब्रम्हलीन हो गये जैन मुनि आचार्य श्रीविद्यासागर महाराज
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर ली अंतिम सांस
Acharya Vidyasagar Maharaj: संत आचार्य श्रीविद्यासागर महामुनिराज ने शनिवार की देर रात संल्लेखना पूर्वक समाधि ले ली है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ में अंतिम सांस ली. शरीर त्यागने से पहले उन्होंने पूरी तरह से जागृत अवस्था में आचार्य पद भी छोड़ दिया था. साथ ही उन्होंने तीन दिन का उपवास किया और मौन धारण कर लिया था. जैन मुनि के शरीर छोड़ने की सूचना के बाद जैन धर्म के अनुयायियों का डोंगरगढ़ में जुटना शुरू हो गया ह.ै उनका अंतिम संस्कार रविवार को दोपहर एक बजे होगा.
दो दिन से कर दिया था अन्न-जल का त्याग
आचार्य श्रीविद्यासागर के समाधिस्थ होने की खबर के बाद देशभर में शोक है. पिछले कुछ दिनों से आचार्यश्री अस्वस्थ थे. दो दिन से उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर दिया था. अंतिम सांस तक आचार्यश्री चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए देह त्याग दिया. इस दौरान मुनिश्री योगसागर महाराज, श्री समतासागर महाराज और श्री प्रसादसागर महाराज उपस्थित थे.
डोंगरगढ़ के लिए रवाना हुए हजारों शिष्य
देश भर के जैन समाज और उनके भक्तों ने उनके सम्मान में रविवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्णय लिया है. समाचार सुनते ही आचार्यश्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ की ओर चले गए हैं. भक्त उनके अंतिम दर्शन करने जा रहे हैं.
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कर्नाटक में जन्मे थे आचार्य विद्यासागर महाराज
आचार्य का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था. उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी. आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था. आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे. वह बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि अपना अधिकतर समय बुंदेलखंड में ही व्यतीत किया. आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं. उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं.