भीख के पैसे के विवाद में सफाईकर्मी ने महिला को उतारा था मौत के घाट
हत्या के बाद लाश को बोर में भरकर कूड़ेखाने में फेंक आया था, 6 साल से पत्नी की तरह रहती थी सुभावती
वाराणसी के जिला अस्पताल पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के पास कूड़ेखाने में पिछले दिनों बोरें में बंधी मिली महिला सुभावती की लाश के मामले का पुलिस ने सोमवार को खुलासा कर दिया. महिला की हत्या उसी सफाईकर्मी ने की थी जिसके साथ वह पत्नी की तरह रहती थी. घटना की वजह महिला द्वारा मांगे गये भीख के पैसे का विवाद बना. हत्यारोपित सफाईकर्मी सोमनाथ उर्फ कल्लू को एसीपी कैंट विदुष सक्सेना ने कैंट थाने में मीडिया के सामने पेश किया. एसीपी ने बताया कि महिला से सोमनाथ का विवाद हुआ और सोमनाथ ने उसकी जमकर पिटाई कर दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद सोमनाथ ने महिला के शव को बांधकर कूड़े के बोरे में भर दिया और कूड़ावाली ठेलागाड़ी से ले जाकर लाश को कूड़ेखाने में फेंक आया था.
31 मई की रात हुई थी वारदात, एक जून को मिली लाश
गौरतलब है कि एक जून को दीनदयाल अस्पताल (जिला अस्पताल) के कूड़ाखाना के पास महिला की बोरे में बंद लाश मिलने से सनसनी फैल गई थी. बाद में उस महिला की पहचान शिवपुर थाना क्षेत्र के प्यारेलाल की पत्नी सुभावती के रूप में हुई. इसके बाद पुलिस और क्राईम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू की. सर्विलासं और मुखबिरों के जरिए पता चला कि मृतका सुभावती करीब छह साल से अपने पति के साथ न रहकर सोमनाथ के साथ पत्नी की तरह रहती थी. आसपास के लोगों को इसकी जानकारी थी. पुलिस को पता चला तो वह सोमनाथ की तलाश में जुट गई. सर्विलांस से मिले लोकेशन के आधार पर पुलिस ने पक्की बाजार से सोमनाथ को पकड़ लिया.
हत्यारोपित की पत्नी का हो चुका है निधन
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि सोमनाथ की पत्नी का छह साल पहले निधन हो चुका है. इसके बाद उसने सुभावती को अपने जाल में फंसा लिया और उसे पत्नी की तरह साथ रखने लगा. हत्यारोपित सोमनाथ ने पुलिस को बताया कि सुभावती भीख मांगती थी और सारे पैसे अपने बेटे हीरालाल और बहू को दे देती थी. वह नही चाहता था कि वह पैसे अपने बेटे-बहू को दे. इसलिए उसका अक्सर सुभावती से विवाद हो जाता रहा. कई बार मारपीट हो चुकी थी. पिछले 31 मई की रात भी उसकी पैसे को लेकर सुभावती से विवाद के बाद मारपीट हो गई. उसने उसे काफी मारा और कई बार धकेल दिया, जिससे सुभावती को गंभीर चोटें आईं. इसके बाद सुभावती बेहोश हो गई. कुछ देर बाद उसने देखा कि सुभावती की सांस नही चल रही है तो अब अपराध छुपाने और खुद को बचाने की जुगत में लग गया. उसने दिमाग लगाया और लाश को ठिकाने लगाने के लिए कूड़ागाड़ी ले आया. सुभावती के पैर आदि को रस्सी से कसकर कबाड़वाली बोरी में भर दिया. फिर कूड़ागाड़ी से बोरे में बंद लाश को लेकर अर्दली बाजार, महावीर मंदिर होते हुए दीनदयाल अस्पताल के पास और मानसिक चिकित्सालय के सामने कूड़ाघर के पास पहुंचा. कूड़े खाने में बोरा फेंक कर चला गया. उसकी सोच थी कि कूड़ा उठानेवाली गाड़ी आएगी और सभी कूड़ों के साथ बोरे को भी गाड़ी में भरकर चली जाएगी. उसकी करतूत का किसी को पता नही चलेगा. लेकिन वह महिला तो इसी के साथ रहती थी और दोनों में विवाद की कहानी तो आसपास के लोगों को पता थी. महिला के परिवारवाले भी सोमनाथ की हरकतों को जानते थे.