जीएसटी में 12 और 18 फीसदी की जगह बनेगा नया स्लैब !
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) की सफलताएं गिनाते हुए कहा है कि भविष्य में 12 और 18 फीसदी की जगह एक नया स्टैंडर्ड टैक्स स्लैब बनाया जा सकता है, जो इन दोनों के बीच होगा। लग्जरी और सिन प्रॉडक्ट्स को अपवाद बताते हुए उन्होंने कहा कि अंतत: देश में जीएसटी के 0, 5 और स्टैंडर्ड रेट टैक्स स्लैब होंगे। उन्होंने जीएसटी से पहले के दौर में 31 फीसदी तक ऊंचे टैक्स को लेकर विपक्ष पर निशाना भी साधा और आलोचनाओं का जवाब दिया।
सीमेंट पर कम होगा टैक्स
फेसबुक पर लिखे ब्लॉग में जेटली ने कहा कि तंबाकू, लग्जरी गाड़ियां, एसी, सोडा वाटर, बड़े टीवी और डिश वॉशर को छोड़कर 28 आइटम्स को 28 फीसदी टैक्स स्लैब से हटाकर 18 और 12 फीसदी टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है। आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाले सीमेंट और ऑटो पार्ट्स ही 28 फीसदी टैक्स स्लैब में बच गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी अगली प्राथमिकता सीमेंट पर टैक्स कम करने की है। दूसरे सभी बिल्डिंग मैटेरियल पहले ही 28 से 18 या 12 में ट्रांसफर हो चुके हैं।’
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जीएसटी के 18 महीने’ शीर्षक वाले ब्लॉग में वित्त मंत्री ने कहा है कि 183 आइटम्स पर टैक्स शून्य है। 308 आइटम्स पर 5 फीसदी टैक्स लगता है, 178 पर 12 फीसदी टैक्स है, जबकि 517 आइटम्स 18 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं। 28 फीसदी टैक्स स्लैब अब खत्म हो रहा है।
‘जीएसटी से पहले था दुनिया का सबसे खराब सिस्टम’
वित्त मंत्री ने जीएसटी की आलोचना को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा और कहा भारत का इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम दुनिया में सबसे खराब था। केंद्र और राज्य सरकारों को लेवी वसूलने का अधिकार था। 17 टैक्स लगाए जाते थे। एक उद्यमी को 17 इंस्पेक्टर का सामना करना पड़ता था। 17 रिटर्न भरना पड़ता था और 17 असेसमेंट होते थे। टैक्स की दरें बहुत ऊंची थीं। वैट और एक्साइज का स्टैंडर्ड रेट 14.5 और 12.5 फीसदी था। इस तरह अधिकतर वस्तुओं पर टैक्स 31 फीसदी हो जाता था।
जीएसटी का प्रभाव
वित्त मंत्री ने लिखा है कि जीएसटी लागू होते ही स्थिति तेजी से बदल गई। सभी 17 टैक्स 1 बन गए। पूरा देश एक बाजार बन गया। राज्यों के बीच मौजूद बैरियर खत्म हो गए। शहरों में प्रवेश खुल गया और एंट्री टैक्स खत्म हो गए। राज्यों में मनोरंजन शुल्क 35 से 110 फीसदी तक वसूला जा रहा था, यह बहुत कम हो गया। 235 आइटम्स पर 31 फीसदी या इससे अधिक टैक्स लगता था। 10 आइटम्स को छोड़कर सभी तुरंत 28 फीसदी टैक्स स्लैब में आ गए और 10 आइटम इससे भी नीचे 18 फीसदी टैक्स स्लैब में डाले गए। कई टैक्स स्लैब यह सुनिश्चित करने के लिए रखे गए कि किसी भी वस्तु पर टैक्स तेजी से ना बढ़े। इसने महंगाई दर को रोके रखा। उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी के इस्तेमाल की अधिकतर चीजों को 0 या 5 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है।