वाहन चेकिंग के नाम पर यूपी पुलिस की गुंडागर्दी

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कहते हैं कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो फिर इंसान किसके पास अपनी व्यथा सुनाने के लिए जाएगा। लोग जिसके नाम पर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं जब वही लोग इंसानों के लिए आपत बनने लगें तो फिर ये जनता कहां जाएगी किसके पास अपना दर्द सुनाएगी?

आजकल ठीक कुछ ऐसा ही यूपी पुलिस में वर्दी के अंदर भी छिपे हुए ऐसे लोग बैठे हैं जो वर्दी का रौब दिखाकर किसी इंसान को कुछ भी कह देते हैं और कहीं भी पीटना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस अफसरों पर कोई लगाम लगाने वाला नहीं है। मामला मेरठ शहर का है जहां पर पुलिस एक युवक की बिना वजह ही पिटाई करने लगी। लेकिन इनवर्दी वाले साहब के डर के आगे किसी भी इंसान की हिम्मत नहीं हुई कि उस पिटते युवक को जाकर बचा ले।

दरअसल, वाहन चेकिंग अभियान के तहत हापुड़ बस अड्डे के पास सिविल लाइंस इंस्पेक्टर धीरज शुक्ला की ड्यूटी लगाई गई। धीरज शुक्ला वाहनों की चेकिंग कर रहे थे तभी अचानक एक युवक पर इंसपेक्टर साहब ऐसे टूट पड़े मानों उस युवक ने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो।

लोगों की समझ में नही आ रहा था कि आखिर इंस्पेक्टर साहब इस युवक को इतनी बेरहमी से क्यों पीट रहे हैं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों के मुताबिक इंस्पेक्टर साहब ने पहले उस युवक को बाइक से खींचा और फिर उसे लात घूंसों से पीटने लगे। लोगों कोकहना है कि युवक चौराहे से बाजार की तरफ जा रहा था।

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बाइक की चाभी निकाल कर शुरू कर दिया पीटना

चेकिंग के लिए धीरज शुक्ला ने उस युवक को रोककर उसके बाइक की चाभी निकाल ली और उसका क़ॉलर पकड़कर खींचने लगे। जब युवक ने विरोध किया तो उसे वहीं पर पीटना शुरू कर दिया। अब सवाल ये उठता है कि क्या पुलिस को यही जिम्मेदारी दी गई है कि आप राह चलते किसी भी इंसान को पीटना शुरू कर दीजिए। आखिर किसने इन पुलिस वालों को इतनी छूट दे रखी है कि किसी को भी पीट देंगे।

पहले भी फोटो खींचने पर मीडियाकर्मी को पीट चुके हैं धीरज शुक्ला

क्या ऐसे पुलिस वाले खुद को कानून से ऊपर समझते हैं? आप को बता दें कि ये वही धीरज शुक्ला है जिन्होंने कुछ महीने पहले लालकुर्ती थाने में तैनाती के दौरान एक मीडियाकर्मी को फोटो खींचने पर जेल में डाल दिया था और उसकी पिटाई भी कर दी थी।

मंजिल सैनी हैं एसएसपी

ये घटना ऐसे शहर में हुई है जहां कि एसएसपी मंजिल सैनी है जो अपने काम के लिए जानी जाती हैं। मंजिल सैनी के कार्य करने का अपना अलग तरीका है। वो जहां भी जाती है वहां पर पुलिस प्रशासन को पूरी मुस्तैदी और ईमानदारी के साथ काम करने का सख्त आदेश देती हैं।

इस तरह की घटना न सिर्फ पुलिस के काम करने के तौर तरीकों पर सवाल खड़ा करती है बल्कि जनता के बीच पुलिस की छवि भी धूमिल कर रही है। जिसको लेकर यूपी पुलिस तमाम तरह के प्रसाय कर रही है कि जनता के अंदर पुलिस को लेकर सकारात्मक सोच बनें। लकिन अगर ऐसे पुलिस वाले होंगे तो क्या जनता के अंदर पुलिस के लिए कोई सम्मान जैसी चीज की कल्पना करना भी गलत है।

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