बनारस में गंगा किनारे थोड़ी सी लापरवाही ले सकती है जान,जाने कैसे….
बनारस में आने वाले गंगा स्नान, नावों की सैर के साथ सुंदर घाटों को निहारने खुद को नहीं रोक पाते हैं. दिन के साथ ही देर रात तक घाटों पर पर्यटक घूमते-टहलते नजर आते रहते हैं..लेकिन इनमें से ही कुछ लापरवाही बरते जाने या मौज-मस्ती के चक्कर में मौत को दावत दे देते हैं.
बनारस जिसे वाराणसी और काशी के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है. यह शहर पवित्र गंगा के तट पर स्थित है और हिंदू धर्म में अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. गंगा किनारे स्थित कई ऐतिहासिक घाट विश्व प्रसिद्ध है. इनमें श्मशान घाट संग हरिशचंद्र घाट भी शामिल हैं जहां दाह संस्कार होते हैं. गंगा किनारे कुल 88 घाट हैं. ऐसा माना जाता है की गंगा का जल अत्यंत पवित्र और मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इसीलिए साल भर लाखों लोग वाराणसी में गंगा तट पर स्नान करने और डुबकी लगाने के लिए आते हैं.
इस शहर में आने वाले गंगा स्नान, नावों की सैर के साथ सुंदर घाटों को निहारने खुद को नहीं रोक पाते हैं. दिन के साथ ही देर रात तक घाटों पर पर्यटक घूमते-टहलते नजर आते रहते हैं..लेकिन इनमें से ही कुछ लापरवाही बरते जाने या मौज-मस्ती के चक्कर में मौत को दावत दे देते हैं. सात किलोमीटर से अधिक गंगा के पाट पर बने घाटों पर सुरक्षा का इंतजाम रात में नहीं रहता है. इस वक्त गंगा स्नान के दौरान गहरे पानी में चले जाने या हादसे की वजह से गंगा में गिर जाने पर मदद के लिए कोई मौजूद नहीं रहता है.
हाल ही में गंगा में डूबने से हुई मौतें
इसी क्रम में सबसे ताजा घटना सामने घाट पर देर रात घूमने गई छात्रा और उसके दो साथियों के साथ हुए हादसे के दौरान भी कोई मदद के लिए नहीं पहुंच सका. ऐसे ही दिल्ली के तुगलकाबाद से वाराणसी घूमने आए चार दोस्त बीते 16 जुलाई की रात घाट पर टहलने गए थे. भोर में सभी अहिल्याबाई घाट पर स्नान करने लगे. सगे भाई प्रसून व प्रभात स्नानार्थियों को गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए घाट पर लगे जेटी पर चढ़ गए और गंगा में छलांग लगा दिया.
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गहरे पानी में जाने से दोनों डूब गए. इसी तरह बीते 16 अप्रैल को सोनभद्र जिले के पन्नूगंज गांव चरकोनवा निवासी आदर्श शुक्ला दोस्त पंकज और आशीष के साथ वाराणसी आया था.रात करीब 11 बजे असि घाट पर सभी घूमने के लिए पहुंचे. आदर्श गंगा में नहाने चला गया और गहरे पानी की थह न मिलने के चलते डूब गया.
सुरक्षा की जिम्मेदारियां नगण्य
दिन-प्रतिदिन गंगा में डूबने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. इस साल अब तक 27 लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है. गंगा में सुरक्षा की जिम्मेदारी जल पुलिस की है जहां उनसे पास जवानों की संख्या 52 हैं और दो नावें हैं. इनके साथ ही एनडीआरएफ की टीम मदद करने के लिए रहती है. अधिक भीड़ वाले घाटों पर पुलिस चौकी बनाने का भी प्रस्ताव है. इसके तहत असि घाट पर एक पुलिस चौकी बनाई गई है.
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घाट किनारे मौजूद रहती है जेटी
बता दें स्मार्ट सिटी की ओर से तैयार की गई फ्लोटिंग जेटी सामने घाट पर मौजूद रहती है. ज्यादातर वक्त यहां आठ जेटी रहती है जिनमें से कुछ पर रेलिंग है. जिन जेटी पर रेलिंग लगी और छत बनी है उनका इस्तेमाल वीआइपी आगमन के दौरान या गंगा से जुड़े उनके कार्यक्रम के लिए किया जाता है.
वहीं बिना रेलिंग वाली जेटी से बैरिकेडिंग की जाती है. घाट किनारे आने वालों के लिए जेटी पर जाना रोमांचक होता है. इस पर चढ़कर लोग सेफ्ली लेते हैं.
दिन में रहते हैं पुलिसकर्मी
सामने घाट पर जल पुलिस की अस्थाई चौकी है. यहां दिन में पुलिसकर्मी रहते हैं और उनकी एक नाव भी गंगा में चक्रमण करती रहती है.
रात में समय पूरा घाट सूना रहता है. मौजूदा समय में घाट कच्चा और गंदगी से भरा होने की वजह से लोग दिन में भी उस ओर नहीं जाते हैं.