एक सपना, हरा-भरा हो शहर अपना
उनके समूह का कोई नाम नहीं है, कोई पहचान भी नहीं है. हां उद्देश्य जरूर निधार्रित है, वो कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे बनारस को फिर से आनंदवन में तब्दील करना. इसी मकसद के साथ कबीर नगर में रहने वाले कुछ लोग साथ हुए और शुरू किया शहर को हरा रंग देने का. जी हां उन्होंीने पौधरोपण के जरिये शहर को हरा भरा करने की कवायद शुरू की है. जो पिछले ढाई सालों से निरंतर जारी है. सरकारी मदद की उम्मीद ना किसी से सहायता की गुहार. जो साथ आया उसका स्वागत जिसने मदद की उसका धन्यवाद दिया और जुटे रहे मिशन हरियाली में. यह कहानी है कुछ जुनूनी लोगों की और मकसद है शहर को बेहतर बनाना और हरियाली के ठेकेदारों को आइना दिखाना.
पार्क की दुर्दशा से मन हुआ दुखी
कबीर नगर के आशीर्वाद अपार्टमेंट में रहने वाले पियुष मेहरोत्रा एक जनरल स्टोर की दुकान चलाते हैं. उनके पड़ोस में रहने वाले प्रशांत मिश्रा आईटी एक्सपर्ट हैं. इनके साथ सिंचाई विभाग के आरएस मिश्रा, बीएचयू में काम करने वाले कमलेश कौल, शॉपकीपर अमरचंद अग्रवाल और उनके कुछ साथी शहर में गायब हो रही हरियाली से काफी चिंतित थे. उनके आसपास क्षेत्र में पार्क तो कई थे लेकिन उनमें हरियाली बिल्कुल नहीं थी. सभी कुछ करना चाहते थे लेकिन शुरू कहां से करें यह समझ पा रहे थे. ढाई साल पहले डीएम के आदेश पर कबीर नगर के पार्क नम्बर चार को वीडीए के स्टोर से खाली कराया गया. पीछे काफी मलबा और गंदगी रह गयी. पियुष ने साथियों समेत हरियाली की शुरूआत इसी करने की सोची और चल पड़े अपनी राह पर.
डगर नहीं रही आसान
पार्क की हालत इतनी खराब थी कि उसमें पौधे लगाने लायक हालत में बनाना आसान नहीं था. लेकिन इच्छाशक्ति दृढ़ थी. गिनती के इन लोगों ने पार्क की सफाई शुरू की. अपने बिजी शेड्यूल में हर दिन सुबह के दो घंटे इस काम में देना शुरू किया. धीरे-धीरे कुछ दिनों में पार्क की सफाई हो गयी लेकिन मिट्टी इतनी कम थी कि पौधे नहीं लगाए जा सकते थे. पार्क में कई ट्रैक्टर मिट्टी की जरूरत थी. इसके लिए अच्छा-खासा धन चाहिए था. समूह ने मिट्टी के लिए नगर निगम से सम्पर्क किया लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. काफी प्रयास और इंतजार के बाद भी पार्क में मिट्टी नहीं गिरी तो फिर इन लोगों ने अपने खर्च पर मिट्टी पटवाना शुरू किया.
और कांरवा बनता गया
मिट्टी और पौधे लगाने के साथ ही उन्हें प्रोटेक्ट करने के लिए ट्री गार्ड की जरूरत को पूरी करने के लिए रुपयों का इंतजाम आपसी सहयोग करने के साथ ही इस समूह ने अपनों से जुड़े लोगों से सहयोग की अपील की. यह कोशिश रंग लायी और तमाम लोग इसके लिए तैयार हो गए. किसी पर बोझ ना पड़े इसके लिए स्वच्छा राशि देने की बात कही गयी कम से कम हर महीने 50 रुपये से लेकर जितना जो चाहे दे सकता है. अब लोग समूह से जुड़ते गए और अपनी इच्छा से धनराशि सहयोग देने लगे.
चल पड़े मंजिल की ओर
अब हर महीने रुपये आने लगे और पार्क नम्बर चार को दुरुस्त करने काम शुरू हो गया. पार्क में दर्जनों ट्रैक्टनर मिट्टी डाली गयी, उसे समतल कराया गया और पौधा लगाने का काम शुरू हो गया. जो पौधे लगाए गए उनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाए गए. पारिजाता, गुलाब, चमेली समेत करीब 100 पौधे लगाए गए. पार्क का काम पूरा होने के बाद कबीर नगर एरिया में नगर निगम, वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्री गार्ड में फिर से पौधे लगाए गए. एसे लगभग 100 ट्री गार्ड को दुरुस्त किया गया. इसके बाद कबीर नगर में ही पार्क नम्बर तीन में हरियाली लाने की कोशिश शुरू हुई. हालांकि इसमें मिट्टी न के बराबर होने की वजह से काम रोकना पड़ा. पार्क की इस हालत के लिए सरकारी तंत्र दोषी है. इसे रोड बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली गिट्टी आदि को डम्प करने के लिए इस्तेमाल किया गया. इन दिनों समूह दीनदयाल पार्क को हरा-भरा कर रहा है. आसपास के लोगों का सहयोग उनको खूब मिल रहा है.
प्रशासन का नहीं मिला सहयोग
शहर को हरा-भरा करने की चाहत रखने वाले समूह के सदस्य प्रशांत बताते हैं कि अपने सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए समूह ने स्थानीय प्रशासन का सहयोग लेने की हर संभव कोशिश की. नगर निगम से लेकर वन विभाग समेत हर जिम्मेदार लोगों तक पहुंचे लेकिन हर जगह निराशा मिली. समूह अब तक लगभग 500 पौधे लगा चुका है. लगभग 200 ट्री गार्ड समेत पौधरोपण के लिए जरूरी हर काम किया. इसके लिए लगभग तीन लाख रुपये आपसी सहयोग से जमा किए. समूह खर्च से लेकर रुपयों के जुटान और काम का हर हिसाब-किताब समूह के सदस्यों तक वाह्टसएप के जरिए शेयर करता है. उनका निश्चय है कि जब तक पूरे शहर को हरा-भरा नहीं कर देंगे तब तक थकेंगे नहीं रुकेंगे नहीं.