प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-दम घोंटने से अच्छा बारूद से सबको उड़ा दो
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर प्रतिबंध के उसके आदेश के बावजूद पंजाब में इसे जलाए जाने का गंभीरता से संज्ञान लिया।
कहा कि दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या आप लोगों से इस तरीके से व्यवहार कर सकते हैं और उन्हें दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से मरने के लिए छोड़ सकते हैं।
कोर्ट ने कहा, हम ”वास्तव में इस बात से हैरान हैं कि दिल्ली में जल प्रदूषित है और आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है, यह क्या हो रहा है।
लोग हमारे देश पर हंस रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि लोग हमारे देश पर हंस रहे हैं।
हम स्टबल बर्निंग को कंट्रोल नहीं कर सकते।
ब्लेम गेम दिल्ली के लोगों की सेवा नहीं है।
आप लोग आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रहे हैं।
इसे (प्रदूषण) गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
कोर्ट ने कहा है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में जल प्रदूषण के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेगा।
यह सत्यापित करने के लिए कि क्या पीने का पानी लोगों के लिए सुरक्षित है?
केंद्र और दिल्ली सरकार को सभी संबंधित आंकड़ों के साथ वापस आने के लिए कहेगा।
सुप्रीम कोर्ट बेहद खफा
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में प्रदूषण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने जल प्रदूषण के मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा है कि राजधानी दिल्ली की हालत नरक से भी खराब है।
बेहद खफा नजर आ रहे कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि दम घोंटकर मारने से अच्छा है सबको एक साथ ही बारूद से उड़ा दिया जाए।
बता दें की बीएसआई ने देश के 21 शहरों के पानी के नमूने जांचने के बाद दिल्ली को फिसड्डी घोषित किया था।
इस रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य सरकार में ठन गई थी।
15 बोरे बारूद ला उड़ा दीजिए सबको
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘लोगों को गैस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?
इससे अच्छा है कि लोगों के एक साथ ही मार दिया जाए।
15 बोरों में बारूद ले आइए और उड़ा दीजिए सबको।
लोगों को इस तरह क्यों घुटना पड़े? जिस तरह से यहां ब्लेम गेम चल रहा है, मुझे आश्चर्य है।’
कोर्ट ने जल प्रदूषण के मामले का भी संज्ञान लेते हुए कहा है कि केंद्र और राज्य दोनों जांच करें कि दिल्ली का पानी पीने योग्य है या नहीं और उसके बाद सारे आंकड़ें कोर्ट के सामने पेश किए जाएं।