परमाणु प्रतिबंधों पर बोले ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी, नहीं मानते

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बीते बुधवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने घोषणा की है कि, ईरान साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि, यूरेनियम के तेजी से संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज (अपकेंद्रण संयंत्र) का इस्तेमाल किया जाएगा। अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने जानकारी दी है। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि, रूहानी का यह फैसला शुक्रवार से लागू होगा।

साल 2015 में हुआ था परमाणु समझौता:

गौरतलब है कि, साल 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले साल मई में ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते बहुत ही तल्ख हो गए थे। इस परमाणु समझौते के प्रावधानों को लागू करने को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

तकनीकी जरूरतों पर शोध तुरंत:

वहीँ, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि, ईरान की जो भी तकनीकी जरूरतें हैं, उन पर शोध तुरंत शुरू करेंगे। जिसकी देखरेख संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) करेगी।

रूहानी ने यूरोपीय देशों को इस सौदे को बचाने के लिए 60 दिनों की एक नई समय सीमा दी है। ईरान ने सौदे के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करने की बात कही है, जब तक कि यूरोपीय देश तेहरान को अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत देने का अपना वादा पूरा नहीं करते।

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