हौसले और हुनर से दूसरों की जिंदगी में भर रहे रंग
सभी लोगों की जिंदगी में मुश्किलें होती है, क्योंकि इंसान की लाइफ में अगर सिर्फ खुशियां ही मिलती रहेंगी तो शायद वो किसी चीज की कीमत नहीं समझेगा। लेकिन किसी-किसी की जिंदगी में मुश्किलें ऐसा घर बनाती हैं जो कभी उजड़ने का नाम नहीं लेता है। इन मुश्किलों से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो निकल पाते हैं या फिर उन्हीं परेशानियों को अपने जीने का हथियार बना लेते हैं।
कुछ ऐसी ही कहानी बयां करती है राजेंद्र खाले की जिंदगी। राजेंद्र खाले ऐसे शख्स हैं जो किसी के कंधों पर बोझ बनने के बजाए अपनी जिंदगी की दूरी खुद ही तय कर रहे हैं। दरअसल, राजेंद्र खाले की पूरी जिंदगी गरीबी और मुसीबतों से भरी हुई है। लेकिन इसके बावजूद वो किसी के आगे हाथ फैलाने या किसी पर बोझ बनने के बजाय खुद की मेहनत पर विश्वास रखते हैं।
राजेंद्र खाले की मुसीबतों का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि राजेंद्र के पास रात गुजारने के लिए छत तक नहीं है, और ना ही उनका कोई परिवार है। राजेंद्र एक आर्टिस्ट हैं और पूणे की सड़कों पर स्कैच बना कर बेचते हैं। राजेंद्र का एक पैर एक्सीडेंट में खराब हो जाने के बाद उनकी जिंदगी में कोई रंग नहीं बचा था कि जिससे वो इस रंग बिरंगी दुनिया में खुद को महसूस कर पाते।
लेकिन इसके बावजूद राजेंद्र खाले खुद की बेरंग दुनिया से निकलकर दूसरों की जिदंगी में रंग भरने का काम कर रहे हैं। साधारण-सी देह के भीतर असाधारण-सी प्रतिभा लिए राजेंद्र पुणे में सड़कों के किनारे स्केच बनाते रहते हैं। उनके पास घर नहीं है और न ही कोई परिवार, लेकिन फिर भी वे शान से और खुशी से अपनी जिंदगी गुजारते हुए दूसरों की जिंदगी में भी खुशियों के रंग भर रहे हैं।
राजेंद्र बचपन से ही आर्टिस्ट बनना चाहते थे, लेकिन घर की गरीबी ने उनके सपनों का गला घोट दिया। घर की दयनीय स्थिति ने उनकी 5 वीं की पढ़ाई के बाद रोक लगा दी। गरीबी से लड़ते हुए राजेंद्र दो जून की रोटी कमाने के लिए अपने उस हुनर को दिल के किसी कोने में दफन कर दिया। और इधर-उधर काम करके पेट पालने लगे।
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एक एक्सिडेंट में राजेंद्र का दाहिना पैर खराब हो गया और उसे अलग करना पड़ा। अब न तो वे मजदूरी कर सकते थे और न सामान्य तरीके से चल सकते थे। मजबूरी में उन्हें खाने-पीने के लिए दूसरों से पैसे लेकर काम चलाना पड़ रहा था। लेकिन मुफ्त में किसी से पैसे लेकर खाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था।
खाली वक्त में उन्होंने पेंटिंग्स बनानी शुरू कर दी। लोगों ने जब उनका हुनर देखा तो खूब तारीफें मिलीं। लेकिन तारीफों से चेहरे पर थोड़ी मुस्कान तो आ जाती है लेकिन उससे पेट की आग नहीं बुझती। इसलिए राजेंद्र ने लोगों से काम मांगा। राजेंद्र सड़क के किनारे बैठकर सादे पन्ने पर लोगों की तस्वीरें उतारते हैं। इसके लिए वह 100 से 500 रुपये तक लेते हैं। जो कि किसी भी कलाकार के लिए बड़ी मामूली रकम है।
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