…तो ऐसे सुलझी गौरी लंकेश मर्डर केस की गुत्थी
परशुराम वाघमारे के चलने के ढंग ने एसआईटी के लिए पत्रकार और ऐक्टिविस्ट गौरी लंकेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में काफी मदद की। एसआईटी ने पिछले वर्ष वाघमारे को इस हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार किया था।
एसआईटी को यह शक तो था कि गौरी लंकेश की हत्या वाली जगह पर जो व्यक्ति दिख रहा है, वह वाघमारे है लेकिन सीसीटीवी फुटेज में चेहरा साफ नहीं होने के कारण वे इसे लेकर आश्वस्त नहीं थे। पर, बाद में फरेंसिक एक्सपर्ट्स ने वाघमारे के चलने के ढंग से साफ कर दिया कि यह वही व्यक्ति है जो विडियो में दिख रहा है।
दरअसल, एसआईटी ने पुष्टि के लिए इस विडियो को गांधीनगर स्थित डायरेक्टरेट ऑफ फरेंसिक साइंसेस (डीएफएस) भेजा था। इसके बाद फरेंसिक एक्सपर्ट्स ने एसआईटी को कहा कि वह ठीक उसी स्थिति में (गौरी लंकेश की हत्या की स्थिति)वाघमारे का विडियो बनाने के लिए कहा। नए विडियो में वाघमारे के चलने के ढंग से एक्सपर्ट्स ने इसकी पुष्टि कर दी कि यह वही व्यक्ति है जो सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है।
हैदराबाद ब्लास्ट में भी इस तकनीक का सहारा
डीएफएस के अधिकारियों ने बताया कि चलने के ढंग की जांच वह तकनीक है जिसके आधार पर किसी की भी पहचान उसके चेहरे की जगह शारीरिक विशेषताओं के आधार पर होती है। अधिकारियों ने बताया कि 2013 हैदराबाद ब्लास्ट में भी आरोपियों तक पहुंचने के लिए इसी तकनीक का सहारा लिया गया था। डीएफएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हर व्यक्ति के चलने का ढंग अलग होता है। यह व्यक्ति के कद, वजन और शारीरिक विशेषताओं पर निर्भर करता है।’
गौरी, पंसारे और कलबुर्गी के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल
बता दें कि एसआईटी ने पिछले दिनों बताया था कि गौरी, गोविंद पंसारे और एमएम कलबुर्गी को गोली मारने के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल किया गया था।
पिछले दिनों नाम उजागर न करने की शर्त पर एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया था, ‘वाघमारे ने गौरी को गोली मारी और फरेंसिक जांच से इसकी पुष्टि भी हुई है कि गोविंद पंसारे, एमएम कलबुर्गी की हत्या उसी हथियार से की गई।’ उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है। फरेंसिक जांच से इस बात की पुष्टि तब हुई, जब गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिला।
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